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रविवार, 31 जुलाई 2016

भजनमाला -------111

वाह वाह कि मौज फकीरां दी

कदी चबावन चना चबेना कदी लपट लै खीरां दी

कदी ता ओढ़न शाल दुशाले कदी गुदड़िया लीरां दी

कदी ता सोवण रंगमहल विच कदी गली अहीरा दी

मंग तंग के टुकड़े खांदे चाल चलन अमीरां दी
@मीना गुलियानी 

भजनमाला -------110

भक्ति की यह तो रीत नही 
मन और कहीँ तन और कहीँ 

मोह ममता ने पर्दा डाला 
लहराती आँखों में माया 
तू हाथ में माला ले बैठा 
मन में भगवान की प्रीत नहीँ 

मानव विषयों में झूम रहा 
मानव पापों में घूम रहा 
मन को तू कैसे समझाये 
इस दाव में तेरी जीत नहीँ 
@मीना गुलियानी 

शुक्रवार, 29 जुलाई 2016

भजनमाला ---------109

दाता  तेरे चरणों की मुझे  धूल जो मिल जाए 
सच कहती हूँ नाथ मेरी किस्मत ही बदल जाए 

दिल तेरा सवाली है झोली मेरी खाली है 
तेरे दर्शन को पाकर कली मन की खिल जाए 

नज़रों से गिराना ना जो चाहे सज़ा दे दो 
नज़रों से जो गिर जाए मुश्किल से सम्भल पाए 

इक  ये ही तमन्ना है तेरा दर्शन मै पाऊँ 
तुम सामने हो मेरे मेरा दम ही निकल जाए 
@मीना गुलियानी 

भजनमाला -------108

बोओगे जैसा भी बीज तरु वैसा लहरायेगा 
जैसा तुम करोगे वैसा फल भी आगे आएगा 

कुएँ में इक बार कुछ भी बोलके तो देखिये 
जैसा कहोगे आपको वैसा ही वो भी सुनाएगा 

जोड़ोगे तुम हाथ खुद तो दर्पण बिम्ब भी जोड़ेगा 
चांटा दिखाओगे अगर तो झट चांटा दिखलायेगा 

काँटा बनोगे तुम किसी की राह में उड़कर अगर 
काँटा बनकर एक दिन तुमको वो भी सताएगा 

थूकोगे गर नादाँ होकर आप आफताब पर 
वापिस गिरेगा मुँह के आगे जग हँसी करवाएगा 

चाहते है लोग तुमको जानना तुमको अगर 
अपने दिल से पूछिए वो खुद बी खुद बतलायेगा 
@मीना गुलियानी 

मैं मनाने के काबिल नहीँ हूँ

मेरे मेहबूब रूठो न मुझसे
मैं मनाने के काबिल नहीँ हूँ
हूँ गुनहगार तुम माफ़ करदो
सर उठाने के काबिल नही हूँ

मुझको परवाह नही है ज़माना
रूठता है रूठे ख़ुशी से
मुझे डर है न तू रूठ जाए
 दिल गंवाने के काबिल नहीँ हूँ

खुश्क लब आँखे पत्थरा गई है
धड़कनों का भरोसा नहीँ है
जिंदगी मौत से लड़ रही है
लब हिलाने के काबिल नही हूँ

गम का मारा हूँ गम का सताया
सबने मुझको परेशां किया है
तुम न मुझको कभी यूँ सताना
गम उठाने के काबिल नहीँ हूँ
@मीना गुलियानी  

गुरुवार, 28 जुलाई 2016

भजनमाला ---------107

है मस्त फकीरी वो जिसमे शाहों की भी परवाह न हो

दुनिया दौलत में मस्त रहे मैं मस्त रहूँ तुमको पाकर 
निर्धनता की इस ज्वाला से तिल भर भी मन में दाह न हो 

घर घर में पाऊँ पूजा मैं या घर घर में अपमान मिले 
दोनों में ही मुस्कान रहे मन के अंदर भी आह न हो 

पर दुःख में रोऊँ मैं जी भर पर अपना दुःख न रुला सके 
पर सुख को अपना सुख मानूँ सुखियो की मन में डाह न हो 

हर रंग रहे इस जीवन में पर मैल न मन में आ पाए 
विचरे मन संयम के पथ पर पल भर को भी गुमराह न हो 
@मीना गुलियानी 

भजनमाला--------106

हरि मोको ले चल अपने धाम 
मन इंद्री रस लोभ लुभाना बसियो हाड मांस को चाम 

तन मन के पंजरे में बैठकर भूल गयो अपना धाम 
मोहमाया का रूप हो गयो बसियो जादू के धाम 

अब निकसूं कस निकसिया जाए कर बैठ्यो इसमें विश्राम 
हरि सतगुरु मोहि आन बचावो नही तो पड़ा रहू इस ग्राम 

बात बनाऊं करूँ कछु नाही कस पहुँचूँ प्रीतम तोरे ग्राम 
घट के पट खोलो मोरे हरिज्यू मै तो हार पड़ा तेरी छाम 

मै अवगुण भरा कोई गुण नाहीँ किस मुँह से करूँ प्रणाम 
आपन विरद आप करि राख्यो हरि जी दास ऊपर सिर छाम 
@मीना गुलियानी 

बुधवार, 27 जुलाई 2016

भजनमाला -------105

चेतो चेतो जल्दी मुसाफिर गाडी जाने वाली है

पाँच धातु की है रेल जिसको मन इंजन ले जाए
इंद्रियगण के पहियों से वो तो खूब ही तेज़ चलाये
गुरूजी के करकमलों से इसकी  होती रखवाली है

जागृत स्वप्न सुषुप्ति तुरिया चार इसके स्टेशन है
आठ पहर इन्हीं में विचरे रेल सहित जो इंजन है
बैठ न पाए हरगिज़ वह नर  जो सत्कर्म से खाली है

राहगीरों को ललचाने को नाना तरह से सजती है
तीन घण्टिका बाल तरुण और ज़रा की इसमें बजती है
धर्म सनातन लाईन छोड़के निपट बिगड़ने वाली है

काम क्रोध लोभादिक डाकू खड़े राह में तकते है
पुलिसमैन सद्गुरु उपदेशक रक्षा सबकी करते है
निर्भय वो हो जाता है जो बन जाए पूरा  ज्ञानी है
@मीना गुलियानी 


भजनमाला ------104

गुज़ारी उम्र झगडों में बिगाड़ी अपनी हालत है 
हुई खारिज़ अपील अपनी अजब सी ये वक़ालत है 

मुकदमे गैर लोगों के हज़ारों कर दिए फैसल 
न देखे मिसल अपनी वो अजायब ये अदालत है 

दलीलें देके गैरों पर किया साबित असल अपना
 दिल अपने का ब शक टूटा अजायब ये अदालत है 

बहुत पढ़ने पढाने से हुआ सब इल्म में कामल 
न पाया भेद रब्बी का अजायब ये कमालत है 

बना हाफ़ज पढ़े मसले सुनाया दूसरों को भी 
बले टूटा न कुफ्र अपना अजायब ये मिसालत है 

तू कर  फैसल हिसाब अपना तुझे गैरों से क्या मतलब 
न किस्सा तूल दे अपना फिजूल की ये तवालत है 
@मीना गुलियानी 

मंगलवार, 26 जुलाई 2016

भजनमाला --------103

नाम [पैदा न किया संसार में आया तो क्या 
दिल न दिलबर से लगाया दिल अगर पाया तो क्या 

भर लिए धन के खजाने ऐशो अशरत खूब की 
दींन  को यदि दान देते हाथ थर्र्राया तो क्या 

दुःख में तो प्रभु भक्त होके  नित्य प्रभु जी को रटा 
मस्त हो सुख भोग में प्रभु नाम बिसराया तो क्या 

भीम सा बल में हुआ लड़ता फिर हर एक से 
धर्म रक्षा समय पग पीछे सरकाया तो क्या 

सत्य  के प्रण  का धनी पक्का रहा आराम में 
कष्ट में निज लक्ष्य भूला  और हर्राया तो क्या 

वक्त पर इक स्वेद बिंदु का भी श्रम कुछ न किया 
ऐ मानव बेवक्त यदि निज शीश कटवाया तो क्या 
@मीना गुलियानी 

भजनमाला --------102

दुनिया की मुहब्बत में जीवन न गंवा देना 
भगवान की भक्ति को दिल से न भुला देना 

आशा की ले प्याली कोई द्वार तेरे आए 
सहारा पाने को छाया में आ जाए 
तू आशा तोड़ उसकी ठोकर न लगा देना 

धनवान है तो दे देना जो देना  ख़ुशी से देना 
देने को नहीँ हो तो मीठे वचन कहना 
कड़वी सुनाके बातें कांटे न चुभा  देना 

संसार के सागर में नैया न भटक जाए 
तूफानों में फंसकर कहीँ ये न अटक जाए 
विषयो के भँवर से तू नैया को बचा लेना 

मरने के बाद प्राणी कोई नही है तेरा 
ऐ मानव बतला फिर करता क्यों मेरा मेरा 
सांसो की नकद पूँजी यूं ही न लुटा देना 
@मीना गुलियानी 

अन्तर राह टटोल

रे मन सम्भल सम्भल पग धर  रे अंतर आँखे खोल
ऊबड़ खाबड़ मांस भू पर , कदम न जाए डोल

देख पड़े है पथ में रोड़े  क्रोध मान पद लोभ
मोह महीधर देख बीच में मत करना मन क्षोभ
इनकी राह अलग है तेरी, अन्तर राह टटोल

देख सतर्क बने रहना मत करना इनसे छेड़
ज्ञाता द्रष्टा साक्षी भावे रहकर इन्हें खदेड़
ये जड़ नश्वर सतत विनश्वर तेरा मोल अमोल
@मीना गुलियानी 


औरत एक पहेली

औरत की जिंदगी भी  एक पहेली है
सबके होते हुए भी वो अकेली है
तन्हाई में खुद से बात करती है
सबके दुःख दर्द खुद ही सहती है
सबके  सामने वो मुस्कुराती है
मन ही मन दर्द अपने वो छुपाती है
न जाने कितने सपने मन में सँजोती है
चुपके से रात रात भर वो रोती  है
आश्वासन पे कितने पल गुज़ार देती है
अपनी खुशियाँ भी सबपे वार देती है
कभी वो नींद कभी सपने भूल जाती है
सबके लिए खुद सलीब पर झूल जाती  है
उसकी चाहत तो सिर्फ इतनी सी होती है
एक ममत्व स्नेह  की उसे भूख होती है
वक्त वो कब  आके सब छीन लेता है
जिसकी  उम्मीद उसको होती है
हर किसी से स्नेह पाने की ललक में
उसकी  आँखे झरने सी फूट पड़ती है
उसका दर्द किसी ने न  जाना है
हर पल उसका तो इक वीराना है
@मीना गुलियानी 

सोमवार, 25 जुलाई 2016

भजनमाला --------101

हे मेरे गुरुदेव करुणा सिंधु करुणा कीजिये 
हूँ अधम अधीन अशरण अब शरण में लीजिये 

खा रही हूँ गोते मै भवसिंधु मंझधार में 
आसरा है दूसरा न कोई अब संसार में 

मुझमे है जप तप न साधन और न ही ज्ञान है 
निर्लज्जता है एक बाकी और बसअभिमान है 

पाप बोझे से लदी  नैया भँवर में आ रही 
नाथ दौड़ो अब बचाओ जल्दी डूबी जा रही 

आप भी यदि छोड़ देंगे फिर कहाँ जाऊँगी मै 
जन्म दुःख से नाव कैसे पार कर पाऊँगी मै 

सब जगह से प्रभु भटककर ली शरण अब आपकी 
पार करना या न करना दोनों मर्जी आपकी
 @मीना गुलियानी 

हँसते हँसते जीना

ओ जीने वाले हँसते हँसते जीना

आंसू तेरे छलक न आएँ
छलक छलक कर ढलक न जाएँ
आँखों में ही पीना

सूरज डूबे कभी न तेरा
जब तू जागे तभी सवेरा
तेरा बदले रंग कभी न

बिजली तुमको राह दिखाए
सुख के स्वर में बजा  बावरे
अपनी जीवन वीणा
@मीना गुलियानी 

रविवार, 24 जुलाई 2016

भजनमाला ------------100

ये दुनिया अरे पागल इक राम कहानी है 
अपना न यहाँ कोई हर चीज़ बेगानी है 

जब फूल सा बचपन भी कायम न रहा तेरा 
हर सांस ये कहती है झूठी ये जवानी है 

यूँ मोह में आकर के क्यों खुद को भुला बैठा 
आया जो उसे जाना ये रीत पुरानी है 

भीष्म से तेजस्वी अर्जुन से धनुर्धारी 
रावण की बता जग में क्या बाकी निशानी है 

शुभ कर्म ही साथी है सुख दुःख में सदा तेरे 
दुनिया को तो दुनिया की दुविधा ही बढ़ानी है 

तज दुनिया के सब धंधे भज नाम तो तू बन्दे 
जीवन की अगर नैया उस पार लगानी है 
@मीना गुलियानी 

शनिवार, 23 जुलाई 2016

भजनमाला ---------99

जिया दुखेगा रे कड़वा न बोल पंछी कड़वा न बोल 
छोटी सी जिंदगी है अमृत में तू विष को न घोल 

वशीकरण इक मंत्र है बोली प्यारी प्यारी रे 
तीखा वचन तीर है भाई कड़वा वचन कटारी रे 
बोले तो बोल पहले मन के कांटे पे तोल रे 

भूले भटके भी कभी न किसी को दे गाली रे 
सबको पिला सदा खुश होके  सुधारस प्याली रे 
आनंद बढ़ाने वाले वचन अमोल तू बोल रे 

एक वचन महाभारत करवाने वाला 
एक वचन है शान्ति पहुँचाने  वाला 
फूल बरसाते हुए मानव तू मुखड़ा खोल रे 
@मीना गुलियानी 

भजनमाला ------98

इंसान जी सके तो इंसान बनके जी 
धरती का भार बनके न हैवान बनके जी 

है जिनका पेट खाली कभी उनकी ले खबर 
ओ मौज करने वाले गरीबों पे कर नज़र 
गिरतों को  दे सहारा तू इंसान बनके जी 

नैया भँवर में हो किसी की पार  लगा दे 
आफत  में कोई दब रहा तू उसको उठा दे 
रोते  हुए चेहरों की तू मुस्कान बनके जी 

अन्धो के लिए लाठी  निराशों की आस बन 
अंधियारे में भटके हुए का तू प्रकाश बन 
हे मानव तू विश्व की इक शान बन के जी 
@मीना गुलियानी 

शुक्रवार, 22 जुलाई 2016

भजनमाला ---------------97

अब तो कर दो दया मेरे बाबा तेरे दर पे सवाली खड़े है 
मन में लेके मुरादें है आये झोलियाँ लेके खाली पड़े है 

तूने कितनों की बिगड़ी बनाई तूने कितनो का भार  उठाया 
तूने कितनों की लाज बचाई तूने कितनो को पार लगाया 
खाली नहीँ जायेंगे अब तो सुन लो शरण तुम्हारी पड़े है 

भरते हो तुम हज़ारों के दामन बैठे है हम तो दामन बिछाए 
कभी होगी मेहर तो तुम्हारी कौन धीरज हमें ये बँधाये 
माफ़ करदो ना गलती हमारी हाथ जोड़े हम कबसे खड़े है 

हमको एक भरोसा तुम्हारा दूजा जग में न कोई हमारा 
आज मिलके पुकारें है तुमको आके दे दो हमें अब सहारा 
डगमगाने लगी अब ये किश्ती हम तो तेरे सहारे पड़े है 

गर अब न सुनोगे हमारी जग में रुसवाई होगी तुम्हारी 
आये हम तो शरण में तिहारी लाज रख लो ऐ बाबा हमारी 
आज नैया मेरी पार करदो तूने लाखों ही पार करे है 
@मीना गुलियानी 

बुधवार, 20 जुलाई 2016

भजनमाला ---------------96

भूल बैठा हरि नाम अच्छी नहीं बात है 
चार दिन की चाँदनी फिर अँधेरी रात है 

बड़े बड़े पापियों को तार दिया नाम से 
तू काहे भूल बैठा लोभ मोह काम से 
बनके नादान भूला जानी नही बात है 

विषय और विकार की चादर लपेटकर 
कब तक सोएगा तू प्रभु को विसारकर 
नैन खोल देख ज़रा हो गई प्रभात है 

छोड़ जंजाल अब ध्यान धर मन में 
रट राम नाम तू काहे फंसा धन में 
हीरा सा जन्म तेरा यूं ही बीता जात है 

खाली हाथ आया बन्दे खाली हाथ जाएगा 
खोवे क्यों अवसर फिर पछतायेगा 
साँची बात तुझे समझ में न आत है 
@मीना गुलियानी 

भजनमाला ----------95

रात भर का है डेरा -------रे  सवेरे जाना है 
ये जग है सराय 
कोई आये कोई जाए 
है ये जोगी वाला फेरा ---रे सवेरे जाना है 

राजपाट ये महल अटारी 
दौलत माल खज़ाना रे 
चलती बेरिया संग न जाए 
फिर काहे इतराना 
न ये तेरा है न मेरा------ रे सवेरे जाना है 

सांस का पंछी कब उड़ जाए 
कोई जान न पाये 
कब जाने माटी की काया 
माटी में मिल जाए 
तेरा वहीं है बसेरा -------रे सवेरे जाना है 
@मीना गुलियानी 

मंगलवार, 19 जुलाई 2016

भजनमाला ------------94

हरि बिन तेरो कौन सहाई 
मात पिता सूत नारी भाई अंत सहायक नाहीं 

क्यों करता है मेरी मेरी ये तन एक राख की ढेरी 
छोड़के पिंजरा इक दिन उड़ना तज दे प्रीत पराई 

तज दे झूठी माया काय क्यों मानव इसमें भरमाया 
गुरु जी ने सच्चा तत्व बताया वो ही तेरा सहाई 

ये जग है इक झूठी माय कंचन जैसा महल बनाया 
तूने माय में मन को रमाकर चैन गंवा दिया भाई 

गुरु को मीत  बनाले अपना ये जग है इक झूठा सपना 
छूटेंगे जिस दिन प्राण तेरे तो हँस अकेला जाई 
@मीना गुलियानी 

भजनमाला --------93

दर्शन माँगू द्यो प्रभु मेरे 

तेरा किया मीठा लागे 
हरिनाम पदार्थ दास ये मांगे 

सिमरूँ तुझे मै शाम सवेरे 
काटो बंधन ओ प्रभु मेरे 

तेरे बिना न भावे दूजा 
करूँ मै निशदिन तेरी ही पूजा 

हाल न मेरा कोई जाने 
घायल की गति घायल जाने 

अलख निरंजन नाम है तेरा 
भंवर में अटका पार करो बेडा 
@मीना गुलियानी 

भजनमाला ---------92

तू आये न आये तेरी ख़ुशी हम आस लगाए बैठे है 
तेरी याद बसी मेरे मन में हम नैन बिछाए बैठे है 

करते हम निशदिन याद तुझे जाने कब करोगे पार मुझे 
सारे जग के पालनहार तुम्ही दुनिया के सताए बैठे है 

तुम दुनिया के रखवाले हो मेरी बिगड़ी बनाने वाले हो 
कब लोगे आकर सुध मेरी हम ध्यान लगाए बैठे है 

मांगू मै तुमसे भीख यही तू अपनी कृपा बरसा तो सही 
दे दर्श मुझे मत देर लगा सुख चैन गंवाए बैठे है 

मेरे सतगुरु क्यों अनजान बने मेरे गम की है पहचान तुम्हे 
मेरी किश्ती को तू किनारे लगा मंझधार के साये बैठे है 

हे दीनबन्धु हे दयासिन्धु हो अनाथो के तुम ही कृपासिंधु 
हे परमेशवर तुम दया करो जग के ठुकराए बैठे है  
@मीना गुलियानी 

भजनमाला ---------91

मुझे क्या काम दुनिया से गुरु जी तेरा सहारा है 
नैया पार उतारो तुम न सूझे मुझे किनारा है 

लहर है विषय वासना की भंवर में डूबी जाऊँ मै 
गुरु जी मुझे बचा लेना तुम बिन कौन हमारा है 

है दिल मेरा बहुत नादान ज़माने ने भी ठुकराया 
तेरे ही नाम का आधार जो बन जाए हमारा है 

हम आये है शरण तेरी लगाना अब तू न देरी 
बचाना लाज तू मेरी तुझे ही मैने पुकारा है 

है मेरी जान मुश्किल में फंसी दुनिया  की हलचल में 
मोक्ष की राह दिखाना मुझे गुरूजी काम तुम्हारा है 
@मीना गुलियानी 

सोमवार, 18 जुलाई 2016

भजनमाला ---------90

संत जगत में आते है जग तारण के लिए
आधि व्याधि उपाधि अविद्या टारन के लिए

सूरत से इक मूर्त बनकर संत जगत में आते है
सेवा कर श्रद्धालु उनसे चार पदार्थ पाते है
मन रूपी रावण की ममता मारन के लिए

संत की महिमा वेद  न जाने संत गुरु बतलाते है
नारद भी वीणा को लेकर गीत संतो के गाते है
धर्मरूपी धरती को आये धारण के लिए

प्रेम किया प्रह्लाद तभी तो भवसागर से पार हुआ
नरसिंह रूप धरयो नारायण सतसंग में अवतार हुआ
राम संत में भेद न जानो प्यारन के लिए
@मीना गुलियानी 

भजनमाला -----------89

लिए आँखों में दो आंसू तेरे दरबार में आये 
नज़र भर देख  लो मुझको मेरे दो नैन भर आये 

सभी अरमान लेकर के चमक आये है पलकों पर 
कहीं  बह जाए न काजल तेरी ज्योति से जो पाये 

किसी की शान जाती है दया तुमको न आती है 
मेरे ये कांपते से होंठ न कुछ और कह पाये 

यदि ये जान प्यारी है करूँ कुर्बान चरणों में 
करूँ क्या जिंदगी का जो मेरे कुछ काम न आये 

मेरे पापों से डरना आपको शोभा नहीं देता 
उबारो हमसा पापी भी लाखो तारते आये 
@मीना गुलियानी 

रविवार, 17 जुलाई 2016

भजनमाला ---------88

नाथ मै थारो जी थारो
चोखो बुरो कुटिल अरु कामी जो कुछ हूँ सो थारो 


बिगड्या हूँ तो थारो बिगड्यो थे ही मने सुधारों 
बुरो बुरो मै बहुत बुरो हूँ आखिर टाबर थारो 
बुरो कहाकर मै रह जास्यूँ नाम बिगडसी थारो 
थारो हूँ थारो ही बाजुं रहस्यूँ थासो न्यारो 


आंग्लियाँ नुंह  परे न होवे ए आ तो आप विचारों 
मेरी बात जाए तो जाए सोच नहीं कछु म्हारो 
मेरे बड़ो सोच यो लाग्यो बिरद लाजसी थारो 
जचे जिस तरह करो नाथ अब मारो चाहे तारो 
@मीना गुलियानी 

भजनमाला ------------87

अब तो माधव मोहि उबार 
दिवस बीते रैन बीती बार बार पुकार 

नाव है मंझधार भगवन पार आके लगाओ 
हे दीनानाथ कृष्णा आके मोहि बचाओ 

कामक्रोध समेत तृष्णा रही पल पल घेर 
घिरी है घनघोर बदली मत लगाओ देर 

दौड़कर आये बचाने द्रौपदी की लाज 
छोड़ तेरा द्वार मै किस द्वार जाऊँ आज 
@मीना गुलियानी 

शनिवार, 16 जुलाई 2016

भजनमाला ------------86

है बहारे बाग़ दुनिया चंद रोज़ 
देख लो इसका तमाशा चंद रोज़ 

ऐ मुसाफिर कूच का सामान कर 
इस जहाँ में है बसेरा चंद रोज़ 

पूछा लुकमा से जिया तू कितने रोज़ 
दस्ते हसरत मलके बोल चंद रोज़ 

बाद मदफन कब्र में बोली क़ज़ा 
अब यहाँ तू सोते रहना चंद रोज़ 

फिर  कहाँ तुम और कहाँ हम दोस्तों 
साथ है मेरा तुम्हारा चंद रोज़ 

क्यों सताते हो दिले बेजुर्म को 
ज़ालिमो ये है ज़माना चंद रोज़ 
@मीना गुलियानी 

शुक्रवार, 15 जुलाई 2016

बारिश में सारे सपने सजा दे

तेरी जुल्फ जैसे छाई हो सावन की घटा
ऐ रूप की रानी  ज़रा इक झलक तो दिखा 

मुखड़ा क्यों छिपाया है आज घूंघट की ओट में
 ऐसा लगा चाँद छुप गया है बादल की ओट में

बिजली सी चमकी आकाश में लहराती हुई 
उड़ाके ले गई चुनरिया हवा बल खाती हुई 

मुझे यह देखकर रश्क हुआ न जाने क्यों 
मेरे सामने ही हवा ने चुनरी को छुआ क्यों 

खेतों में भी नई फसल लगी है उगने 
हल चला दिए किसानो ने बारिश की ख़ुशी में 

आओ अब तुम भी  कदम तो बढ़ाओ 
आया है झूमता सावन हँसो नाचो गाओ 

संग संग नाचेंगे गाएंगे बनाकर इक टोली 
झूमेंगे संग संग बरखा में मेरे हमजोली 

नशा छा  रहा है बदन में सरुर मेरे  इस तन में 
शायद  तेरी उल्फ़त का जादू सा जगा है मन में 

महकी  है वादी फ़िज़ा ने मौसम में रंग घोला है 
देखकर रूप तेरा शायद इसका मन भी डोला है 

मेरी आँखों में मस्ती सी छाने लगी है 
थोड़ी नींद भी मुझको आने लगी है 

पपीहे की सदा मन को भाने  लगी है 
गोरी भी थोड़ा सा शर्माने लगी है 

चलो आज हम सारे गमों को भुला दे 
भीगें बारिश में सारे सपने सजा दे 
@मीना गुलियानी 

गुरुवार, 14 जुलाई 2016

भजनमाला ------------85

कर  भजन तू रे बन्दे कि इक दिन छोड़ ये जग है जाना 

तोड़ दे झूठे मोह के बंधन क्यों इनमे भरमाया 
छोड़ दे इस झूठी नगरी को क्यों संसार बसाया 
क्यों तू मोह में भूल गया रे साथ न कुछ भी जाना 

विषयों की भूल भुलैया में तू वचन गर्भ का भूल 
ईशवर सुमिरन कर  न पाया यौवन में तू फूला 
तन पर कर  अभिमान हे बन्दे अब है पड़ा पछताना 

ये जग है इक पंछी का डेरा छोड़के इक दिन उड़ना 
नाम प्रभु का जप ले तू जो भव से पार उतरना 
छोड़के झूठे धंधे जग के प्रभु की शरण में आना 

प्रभु का नाम पतितपावन हे तर गए पापी सारे 
गौतमी और अहिल्या बाई जो थे शाप के मारे 
है मेरा प्रभु दयालु ऐसा पल में मिले ठिकाना 
@मीना गुलियानी 

पास बैठो ज़रा

पास बैठो ज़रा चैन मिल जाएगा 
वक्त केसा भी हो वो गुज़र जाएगा 

दूर हमसे न  होना गर भूल हो 
माफ़ करना मेरी भूल चूक को 
दिन थमेगा नहीं वक्त ढल जाएगा 

तुम तो यूं ही सदा मुस्कुराया करो 
पलकें आँसुओ में न डुबाया करो 
जुल्फें संवरे तो चंदा निकल आएगा 

गेसुओं में छुपा लो हर इक राज़ को 
को वक्त नाज़ुक कहीं न पर्दा फाश हो 
शमा रहते ही परवाना जल जाएगा 
@मीना गुलियानी 

बुधवार, 13 जुलाई 2016

भजनमाला -----------84

मुझे क्या काम दुनिया से गुरु जी तेरा सहारा है 
नैया पार उतारो तुम न सूझे मुझे किनारा है 

लहर है विषय वासना की भंवर में डूबी जाऊँ मै 
गुरु जी मुझे बचा लेना तुम बिन कौन हमारा है 

है दिल मेरा बहुत नादां  ज़माने ने भी ठुकराया 
तेरे ही नाम  का आधार जो बन जाए हमारा है 

हम आये है शरण तेरी लगाना अब तू न देरी 
बचाना लाज तू मेरी तुझे ही मैने पुकारा है 

है मेरी जान मुश्किल में फंसी दुनिया की हलचल में 
मोक्ष की राह दिखाना  मुझे गुरु जी काम तुम्हारा है 
@मीना गुलियानी 

भजनमाला ------------83

सतगुरु तेरे नाम को रटते बीती रे उमरिया
युग बीते तेरी राह को तकते कब लोगे खबरिया

भरम के मारे सतगुरु हम तो फंस गए मायाजाल में
आकर काटो बंधन हमरे हो गए हम बेहाल रे
दर्शन के बिन अखियाँ बरसें ज्यों काली बदरिया

दर्शन के ये नैन प्यासे हरदम तुमको ध्याते है
सतगुरु आओ दर्श दिखाओ चैन कहि नहीं पाते है
कब सुध लोगे सतगुरु मोरी हो गई मै बावरिया

बेदर्दी दुनिया ने मुझको उलझाया मोहजाल में
डूबे जल में उबरें कैसे सतगुरु करो सम्भाल रे
तेरे बिना अब कौन सुनेगा जाऊँ किस नगरिया
@मीना गुलिया

भजनमाला -------------82

गोरे गोरे गात को गुमान कहा बावरे 
रंग तो पतंग तेरो काल उड़ि जाएगो 

धुंआ कैसो धन तेरो जातहुँ न लागे बेरा 
नदी के किनारे वृक्षमूल ही सो जाएगो 

बोले जासू तीखे बोल बोलिए जो हितकारी 
जीवन गया कि पीछे कौड़ी हूँ न पाएगो 

मानुष की देह वो तो जीवत ही आवे काम 
मुवा पीछे स्यार काग कूकरो न खायेगो 

फूसहू की आग को निवास घड़ी दोऊ को 
चोरन को माल नहीं चौहटे बिकायेगो 

सुन मन मेरे छौड दे तू माया  की देंन 
बंधी मुट्ठी आयो है पसारे हाथ जाएगो 
@मीना गुलियानी 

मंगलवार, 12 जुलाई 2016

भजनमाला ----------81


-भगवान तुम्हारे चरणों में मै तुम्हे रिझाने आई हूँ
वाणी में तनिक मिठास नहीं पर विनय सुनाने आई हूँ

प्रभु का चरणामृत लेने को है पास मेरे कोई पात्र नहीं
आँखों के दोनों प्यालों में कुछ भीख मांगने आई हूँ

तुमसे लेकर क्या भेंट धरूँ भगवान आपके चरणों में
मै भिक्षुक हूँ तुम दाता हो संबंध बताने आई हूँ

सेवा  को कोई वस्तु नहीं फिर मेरा हृदय देखो तुम
हाँ रोकर आज आँसुओ का मै हार चढाने आई हूँ
@मीना गुलियानी 

सोमवार, 11 जुलाई 2016

क्या से क्या कर दिया

हक शराफत का हमने अता कर  दिया
उसको सजदा किया और खुदा कर  दिया

उम्र भर मै उसी शह से हरदम लिपटा रहा
जिसने हर शह से मुझको जुदा कर  दिया

दिल की तकलीफ जब मुझसे सही न गई
मिले दर्द को दर्दे दिल की दवा कर दिया

आज अपना भी सर उसके कदमों में है
उसने जो भी कहा मैने वो सब कर दिया

कौन  गुज़रा यहाँ से  पेड़ों को छूते हुए
सूखे पत्तों को किसने हरा कर दिया

तेरा एहसा तो हमेशा ही मानूँगा मै
क्या था मै तुमने क्या से क्या कर दिया
@मीना गुलियानी

रविवार, 10 जुलाई 2016

भजनमाला -----------------80

कितनी बार पुकारा तुमको सुनते नहीं पुकार प्रभो 
भूल गए क्या तुम भी हमको दीनो के दातार प्रभो 

दयासिन्धु कहलाते हो पर दया नहीं दिखलाते हो 
होकर दीनानाथ आज क्यों दीनो को ठुकराते हो 

छिपा नहीं है तुमसे कुछ भी जो हम पर है बीत रहा 
नहीं जानते क्या तुम भगवन जो जो हमने दुःख सहा 

किसके आगे जाकर रोएँ किससे अपना हाल कहें 
छोड़ तुम्हें बतलाओ भगवन किसकी जाकर शरण गहें 

करता दास पुकार यही प्रभु विनती मेरी सुन लीजे 
दर्शन देकर मुझको भवन बेडा पार तुंरत कीजे 
@मीना गुलियानी 

भजनमाला ---------------79

कोई समझे भक्त सुजान राम नित कृपा करते है 

कभी कोमल हाथ प्रभु का कभी बोझल हाथ प्रभु का 
सब भांति करें कल्याण पग पग रक्षा करते है 

कभी धन सत्ता बरसाते कभी दीनता दे तरसाते 
कभी सुख दे स्वर्ग समान कभी दुःख दुविधा देते है 

कभी ज्ञान प्रभु जी देते कभी बुद्धि ही हर लेते 
कभी रखकर मूढ़ अजान वो खुद पथ सीधा करते है 

है रूप अनेक कृपा के कभी जय कभी हार कराते 
प्रभु का निर्दोष विधान देखो कब क्या  करते है 
@मीना गुलियानी 

भजनमाला --------------78

जब नैया तेरी डोले और मन तेरा घबराए
तू जप करले तू तप करले 
जब श्रद्धा तेरी डगमग  शान्ति खो जाए 
तू जप करले तू तप करले 

गंगा में स्नान करना क्यों 
कांशी में करवत लेना क्यों 
अरे मन मंदिर में मूर्त बिठाकर 
तू जप करले तू तप करले 

क्यों भूल ब्रह्मा का पुत्र है तू 
क्यों भूला उनका अंश है तू 
अरे दिव्य ज्ञान पाने के लिए 
तू जप करले तू तप करले 

जो मांगे सम्पति तुझको मिले 
जो मांगे दर्शन तुझको मिले 
अरे दिव्य दान पाने के लिए 
तू जप करले तू तप करले 
@मीना गुलियानी 

भजनमाला -----------------77

उठ भोर भई त्यागो निद्रा अब ईश भजन की बेला है 
प्रभु परमेश्वर  में ध्यान लगा जो सच्चा सखा सहेला है  

शुद्ध शीतल सुंदर सुगंध भरी वायु चलती आनंद भरी 
देखो उषा ने गगन मंडल पर डाला खूब उजेला है 

पशु जागे पक्षी चेते है  गुणगान करें जगदीशवर का 
तू भी उठ जाग प्रभु गुण गा बना आलस का क्यों चेला है 

मानव का चोला है तेरा ईशवर भक्ति से सफल बना 
प्रभु भक्ति बिना ये चोला भी इक माटी का ही ढेला है 

धन जन बल तन न साथ चले शुभकर्म कमा इस चोले से 
आया था अकेला दुनिया में जाना भी तुझे अकेला है 

ऐ बन्दे सोच विचार ज़रा मोहमाया में क्यों फंसा रहा 
यह बात सदा रख सन्मुख तू यहाँ चार दिनों का मेला है 

सुन ऋषियों के सतसंग से तू आत्मा अपनी शुद्ध बना 
जप तप से जीवन को चमका और झूठा छोड़ झमेला है 
@मीना गुलियानी 

शनिवार, 9 जुलाई 2016

भजनमाला -------------76

दूर करो दुःख दर्द सब , दया करो भगवान 

मन मंदिर में उज्ज्वल हो, तेरा निर्मल ज्ञान 

जिस घर में हो आरती, चरणकमल चित्त लाये 

तहाँ हरि वासा करें , जोत  अनन्त जगाए 

जहाँ भक्त कीर्तन करें , बहे  प्रेम दरियाव 

तहाँ हरि श्रवण करें , सत्यलोक से आव 

सब कुछ दीन्हा आपने, भेंट क्रू क्या नाथ 

नमस्कार की भेंट लो, जोड़ूँ मै दोनों हाथ 
@मीना गुलियानी 

शुक्रवार, 8 जुलाई 2016

कर्म से भाग्य बदलता है

आनन्द एक आभास है 
जिसे हर कोई ढूँढता है 

दुःख एक अनुभव है 
जो सबके पास मौजूद है 

कामयाब वही होता है 
जिसे खुद पर विश्वास है 

फिर क्यों नहीं आगे बढ़कर 
उस कामयाबी को पा लेते 

हाथ पर हाथ रखकर सोचने से 
क्या कभी कुछ काम बनता है 

संवरता है उसका नसीब केवल 
जो दो कदम साहस से चलता है 

भाग्य भरोसे रहने वाला बैठा रह जाता है 
पुरुषार्थी ही केवल सागर से सीप लाता है 

तुम नाहक ही भाग्य को कोसते  हो 
क्यों नहीं अपने पुरुषार्थ से हाथों में 

एक नई लकीर खीँच लेते हो 
केवल कर्म से ही भाग्य बदलता है 

बदल जाया  करती है  तदबीर उसकी 
जो हवा का भी रुख बदल सकता है 
@मीना गुलियानी 




सदाओं ने पुकारा मुझे

कितनी फुरसत से खुद ने तराशा तुझे
लाल हीरे मोतियों से नवाज़ा है तुझे

तेरे तिलिस्म के कायल हम हो गए
माँगा है हर दुआ में खुदा से तुझे

न चाह रही अब जन्नत की मुझे
कितनी हसरतो से मैंने चाहा तुझे

मुझको बेवफाई का  इल्ज़ाम न देना
हर ख़ुशी रंजो-गम में पुकारा तुझे

तोहमतें तो जहाँ ने लगाई इस कदर
ढूंढा उनकी जफ़ाओं में भी तुझे

उभर न पाया कशमकशे जिंदगी से
तेरी उल्फ़त की सदाओं ने पुकारा मुझे
@मीना गुलियानी 

भजनमाला -------------75

सिमरूँ सरस्वती तोहि भवानी 
अनुभव प्रकट करो मम वाणी 

गिर क्र रसीली प्रेम रस भीनी 
कविता सुंदर होए  प्रभु कहानी 

सर्व वाग् भूषण दूषण परिहारी 
भक्ति ज्ञान वैराग बखानी 

सर्व भाषा की तुम हो जननी 
तुम्ही सकल विद्या की खानी 

दास माता यही वर मांगे 
वाणी प्रसिद्ध होए प्रमाणी 
@मीना गुलियानी 


गुरुवार, 7 जुलाई 2016

खुदा से तुझे माँगता हूँ

तेरे दिल के ;छोटे से इक कोने में
मै अपना घर बनाना चाहता हूँ
तेरी सुंदर मूर्त को पूजना चाहता हूँ
न  मुझे कुछ और ख्वाहिश है
न मुझे चाहत है इस ज़माने की
सज़दे में दोनों हाथ ऊपर उठाकर
हर दुआ में खुदा  से तुझे माँगता हूँ
तुझसे मिलने की उम्मीद में हर पल
टकटकी लगाए चोखट तेरी थामता हूँ
न जाने तू कब गुज़रे इस गली से
नज़रों से अपनी रास्ता निहारता हूँ
फूलों की चादर तेरे कदमों तले बिछाए
दिल से हरदम तुझको पुकारता हूँ
कभी थम जाए टूटे जो सांस मेरी
गुज़ारिश रहेगी तुझसे ये मेरी
मेरी आँखे बंद होने से पहले
मेरी सांस टूटने से पहले
तुम अपनी झलक मुझको दिखला तो देना
पलभर चिलमन उठाके मुस्कुरा तो देना
मौत भी आये तो फिर गम नहीं है
ये ऐहसां तेरा मुझ पे कुछ कम नहीं है
@मीना गुलियानी  
प्रिय पाठकगण,

 मुझे यह बताते हुए अपार हर्ष का अनुभव हो रहा है कि मेरी पुस्तक  102 - कविताएँ
 प्रकाशित हो चुकी है एवं   http://www.amazon.in/102-kavitayein-Meena-Gulyani/dp/938242248X/ref=sr_1_6?ie=UTF8&qid=1467947822&sr=8-6&keywords=gulyani                              
पर उपलब्ध है ।  मुझे पूर्ण विश्वास है कि यह पुस्तक अापके मन को कहीं न कहीं अवश्य ही रोमांचित कर
देगी और आप पढ़ते हुए अगर भाव विभोर हो उठे तो मेरी साधना व्यर्थ नहीं जायेगी ।

इसके साथ ही मेरी एक अन्य पुस्तक भी जिसका नाम छन्द , अलंकार व् शब्द शक्तियाँ है वह भी
प्रकाशित हो चुकी है एवं  https://www.amazon.com/Chhand-Alankaar-aur-Shabd-Shaktiyan-Hindi/dp/1534782184/ref=sr_1_4?ie=UTF8&qid=1467947876&sr=8-4&keywords=gulyani              
पर उपलब्ध है ।   यह पुस्तक मैने  विशेषकर उन सभी विद्यार्थियों के लिए लिखी है जिन्हें छन्द , अलंकार याद करने में परेशानी होती है ।  इसी बात को मध्यनज़र रखते हुए मैने अपनी ओर  से पूर्णतया इसे उदाहरण सहित समझाया व जटिल  विषय को रोचक बनाकर प्रस्तुत करने की कोशिश की है ।   यह पुस्तक स्कूल , कालेज  की लाईब्रेरी  के  लिए भी उपयोगी सिद्ध होगी ।
मै आप सभी महानुभावों से अपेक्षा करती हूँ कि मेरी इन दोनों पुस्तकों को आप सभी का स्नेह एवं
सहयोग प्राप्त होगा जैसा की आप सभी ने आज तक मुझे दिया है ।  मै आप सभी का आभार व्यक्त
करती हूँ क्योंकि आप अभी से मुझे बहुत प्रेम व सम्मान प्राप्त हुआ है ।  
कृपया इन दोनों पुस्तकों को पढ़कर अपने विचारों से मुझे अवश्य   meenagulyani@gmail.com पर अवगत कराएं

धन्यवाद  सहित

मीना गुलियानी 

पूरा हुआ ऋतुसंहार

चंचल हवा ये किसी सुगन्धि लाई है
फूलों की खुशबु मलयाचल से आई है
चम्पा महुआ केवड़ा सबने  इत्र बनाया
इस प्यारी घाटी पर उसे दिया छितराया
सूरज की लाली जब अस्ताचल से आई
उसकी किरणें सबके मन को अति भाई
धीरे धीरे फिर मेघ आया बरखा को संग लाया
लगा ठुमकने गुनगुनाने वो संग बरखा के
राग मल्हार गाकर उसने पानी बरसाया
ध्रुपद षड्ज भी तान सुनाने को हुए तैयार
इंद्रधनुष के निकलते ही रुत में आया निखार
ऐसा लगा मानो आज पूरा हुआ ऋतुसंहार
भेजा  प्रेयसी को संदेश मेघ को दूत बनाकर
क्यों न गर्व करें वो अपने स्वाभिमान पर
रूठे प्रियतम घर है लौटे प्रेयसी ने की मनुहार
जब मौसम ने किया श्रृंगार रचा नया  संसार
कैसे न माने प्रीतम प्रेयसी की सुनकर पुकार
@मीना गुलियानी  

भजनमाला ---------------74

इतना तो करना गुरु जी दर्शन तो जल्दी देना
भ्रमजाल में फंसे है प्रभु वेग सुध लेना

तुम्हरे दर्श है पावन सब पाप को नशावन
दिल को हमारे भावन -------------------

तुम्हरे वचन सुहाने ब्र्ह्म रूप को लखाने
 त्रिय ताप को बुझाने ---------------------

तुम्हरे चरण को परसे दुःख भूल जाए जड़ से
आत्म हमारा तरसे --------------------------

सुमिरन तुम्हारा नीका सर्व ध्यान का है टीका
सब जगत लागे फीका -----------------------

सतगुरु के गुण जो गावे भवसिंधु वो न आवे
वो अचल मोक्ष पावे ---------------------------
@मीना गुलियानी 

भजनमाला --------73

परमगुरु आया रहिज्यो जी 
थांकी  देख रह्यो छूँ बाट ,परमगुरु आया रहिज्यो जी 

बाट देखतां देर हो गई व्याकुल हुओं शरीर 
अब तो नाथ पधारो बेगा मने बंधाओ धीर 

दिन नहीं चैन रैन नहीं निंद्रा रहूँ  सदा बेचैन 
चरणा का दर्शन के ताई तड़फ रह्या छै नैन 

गद गद गात रोम सब फूल्या धीरज हट गयो दूर 
था बिन म्हारा दुःख की घड़ियाँ किस विधि पड़सी पूर 

आज तलक तो थे दुःख मांही चढ्या भक्त की भीर 
गुरु जी अब तक देर करी  क्यों हरी न म्हारी पीर 
@मीना गुलियानी 

बुधवार, 6 जुलाई 2016

भजनमाला ---------72

शिव शंकर रखवाला मेरा शिव शंकर रखवाला 
मंगलकारी है उनका शम्भु भोला भाला 

जिनकी महिमा ऋषि मुनि गाएँ 
योगी जिनका ध्यान लगाएँ 
मन उनका मतवाला मेरा ---------------------

जो भी शिव शिव नाम ध्यावे 
वो ही मनवांछित फल पावे 
ऐसा शिव कृपाला मेरा -------------------------

विघ्न हरें  संताप मिटाएं 
युग युग के सब पाप जलाएं 
ऐसी नेत्र की ज्वाला मेरा --------------------

ज्ञानी जिन्हें विचारत हारे 
भगतन के वो खड़ा द्वारे 
ऐसा दींन  दयाला मेरा ----------------------
@मीना गुलियानी 

भजनमाला -------------71

तू व्यापक है सकल जग में तेरी सत्ता समाई है 
दुखी का दीन जन का तू कृपासागर सहाई है 

गगन ,इ जल में पथ्वी काष्ठ में पत्थर में अग्नि में 
बनाए है अनोखे जीव और सबका सहाई है 

विश्वम्भर  है तू देता लाख चौरासी को भोजन है 
तेरा ही नाट्य घर है विश्व तू सबका सहाई है 

तू ही जगदीश ईश्वर है विलक्षण है तेरी लीला 
प्रकट का गुप्त का शंकर सदा तू ही सहाई है
@मीना गुलियानी  

मंगलवार, 5 जुलाई 2016

सावन की बरखा लाई बहार

कैसी घटा ये बरसी है आज
मौसम भी है खुला खुला
फूलों पे रंगत छाई है अाज
चंदा का रंग कुछ धुला धुला
सूरज की किरणों ने मुँह छिपाया
बादल को अपना पर्दा बनाया
चंचल किरण इक बोली यूँ आज
छिपने दो मुझको आती है लाज
फूलों से बोली भँवरों की टोली
आओ जी खेलें आंखमिचौनी
सावन की बरखा लाई बहार
आओ छेड़ें हम सब मल्हार
झूला भी झूलें गीत भी गाएँ
हम तुम मिलकर रास रचाएं
चाँद भी आया छूके आकाश
धरती पर फैलाने लगा प्रकाश
सपनो की गगरी ले चली रातरानी
यमुना किनारे भरने को पानी
नटवर ने जब अपनी बंसी बजाई
सब गोपियाँ भागी भागी आई
वृंदावन में तो  धूम मची है
राधा पर क्यों बेसुध पड़ी है
सुनते ही बंसी वो कान्हा की
हिरणी जैसे भाग पड़ी है
@मीना गुलियानी

दिल ही तो है

दिल में जो वफ़ा है निभाएंगे
ऐहसान का मारा दिल ही तो है
हमसे गर खता हो जाए तो
रूठो न बेचारा दिल ही तो है

तुम ऐसे खफा क्यों बैठे हो
कुछ अपनी खो कुछ मेरी सुनो
हम अपनी जुबां से कैसे कहें
नादां ये बेचारा दिल ही तो है

इस जहाँ की हमने खूब सुनी
और अपनी भी करके देखी  है
पर जिद ये तुम्हारी कैसी है
बिगडो न खुदारा दिल ही तो है

तुम छोड़ो अब तो शर्माना
अपनों से कैसा है घबराना
दिल टूटेगा जो न मुस्काये तुम
एहसास का मारा दिल ही तो है
@मीना गुलियानी 

सोमवार, 4 जुलाई 2016

भजनमाला ---70

मन रे सो गुरु परम उदारा करें जो मनमंदिर उजियारा 

अलख निरंजन गुरु अविनाशी सबका सिरजनहारा 
निर्गुण से सगुण हो  प्रकटे जानो नित अवतारा 

परमार्थ को जग में आया इंद्र ज्यों उपकारा 
ज्ञान घटा  ले अनहद गरजे वाणी अमृत धारा 

महावाक्य का जल बरसावे श्रवण किये भवपारा 
उत्तम मध्यम कनिष्ठ ऊपर वर्षा करें इक सारा 

सतगुरु तो समरूप सदा ही बरसा ज्ञान अपारा 
गुरु जी ने अनुभव सर भर्या पीवो मुमुक्षु सारा 
@मीना गुलियानी

भजनमाला ---69

तू नूर है खुदा का न कर जुदाई दावा 
हकीकत में जुदा नहीं है न कर जुदाई दावा 

किसने तुझे बहकाया किसने तुझे डराया 
किसने तुझे भरमाया न कर जुदाई दावा 

शैतान तुझे बहकाया शरियत तुझे भरमाया
 अविद्या ने डराया न कर जुदाई दावा 

तू खुद बेखुद खुदा है हरगिज़ नहीं जुदा है 
तू सदा से ही अचल है करके खुदाई दावा 
@मीना गुलियानी 

भजनमाला ----68

दिलाना प्रभु सदा मुझे सत्सग 
बार बार यही वर मांगू कृपा करो श्री रंग 

प्रेम भक्ति उपजे सत्सग से लगे तुम्हारा रंग 
शील संतोष दया उपजे दिल में हृदय होत  उमंग 

विवेक  वैराग उपजे  सतसंग से जग से होत असंग 
ब्र्ह्मज्ञान होवे सतसंग  द्वैत मति  होए भंग 

जीव पलटकर ब्र्ह्म होत है जैसे पलटे भृंग 
जीवन मुक्त हुए सतसंग से विचरे हुए निसंग 

सतसंग से परमपद पावे फिर नहीं होवे भंग 
गुरुकृपा से मिले पदार्थ, सतसंग के प्रसंग 
@मीना गुलियानी 

भजनमाला ---67

उम्र का पंछी उड़ता जाता 
क्यों प्राणी प्रभु नाम न  गाता 

किसे पता है कल क्या होगा 
पता नहीं किस पल क्या होगा 
कालचक्र चलता मदमाता 

आज कहे कल नाम रटूंगा 
कल आये फिर कल जप लूँगा 
बीता कल कभी लौट न आता 

कच्ची साँसों की ये आशा 
कर  जाए कब बंद तमाशा 
तू मूर्ख मन क्यों भरमाता 
@मीना गुलियानी 

रविवार, 3 जुलाई 2016

तेरी जोगनिया कहलाऊंगी

मै तो तेरी चाकर बनकर आंगन रोज़ बुहारूँगी
जिस आंगन तोरे चरण पड़ेंगे वो आंगन मै निहारूँगी

एक एक पग के नीचे फुलवा मै तो आज बिछाउंगी
तेरे चरण की धूलि लेकर मस्तक पर लगाऊँगी
मै तो बन गई जोगन  तेरी जोगनिया कहलाऊंगी

मेरे साजन तू तो बसे उस गाँव नगरी इधर बसाउंगी
जिस पल लौटके आओगे तुम रास्ते फूल बिखराऊंगी
गीत तुम्हारे ले इकतारा प्रेम की धुन में गाऊंगी

हृदय की मांहि छवि तुम्हारी मै तो आज बसाउंगी
प्रेम की ले खरतआल हाथ में मंजीरा आज बजाऊंगी
प्रेम के रस में भीगे हुए फल तुझको अाज खिलाऊंगी
@मीना गुलियानी 

भजनमाला ----66

 समय बड़ा बलवान रे , समय बड़ा बलवान 
इक दिन सबको जाना होगा निर्धन या  धनवान रे 

है दुर्लभ ये  मानव जीवन बड़ा कठिन पाना  मानव  तन
 पाकर धन वैभव यौवन तू मत करना अभिमान रे 

जिस दिन आया तू धरती पर काल चला हमजोली बनकर 
पता न किस  पल धर बैठेगा मूर्ख रुख पहचान रे 

काम बहुत पर जीवन थोड़ा उस पर मन का चंचल घोडा 
रुक जा प्राणी गाले प्रभु का सुंदर प्यारा नाम रे 

जब चलने का पल आएगा कोई रोक नहीं पाएगा 
प्रभु चरणों  में शरण तिहारी सोच समझ नादान रे 
@मीना गुलियानी 

भजनमाला -----65

रब मेरा गुरु बणके आया मेनू वेख लैंण दे 
मत्था तक लैण दे -------------------------


मै  उसदा लख लख शुक्र मनावा 
मै ता पलड़ा गल विच पावां 
नाले भुल बक्शान्दी जावां -----------------

मै तां उस्तों वारी जावां 
जिंद अपनी नू उसते मिटावा 
उसदे सदके मै ता जावां ---------------------

दाता नाम तू अपना जपावीं 
नाले चरणा कोल बिठावी 
दाता मेनू न भुलावी---------------------------- 
@मीना गुलियानी 

शनिवार, 2 जुलाई 2016

तू क्यों इतना मुझे रुलाता है

ओ पपीहे तू क्यों इतना मुझे रुलाता है

जुबां पे तेरी पी पी नाम किसके लिए आता है
सदा ये दर्द- ओ -गम किसको तू सुनाता है

जो खुद ही दर्द-मंद हों उनको तू क्यों सताता है
जो खुद  ही जल रहे है क्यों उनका जी जलाता है

तू ये रोज़ आंसू किसके लिए बहाता है
जो सुनता नहीं क्यों दर्द अपना उसे बताता है

जा रुखसत ले जहाँ से न बर्बाद कर जिंदगी
यहाँ कारवां मुहब्ब्त का तेरा   लुटा जाता है

कहीं दूर आशियाँ बसाले अपना  जहाँ सुकूँ का निशां
बसाले बस्ती वहाँ ख़ुशी के नगमे कोई गुनगुनाता है
@मीना गुलियानी


मेरे नाम से पहले

दिल  -ऐ -नाकाम लुट चुका है अंजाम से पहले

तूने भी आँखे फेर लीं  इस आलम को देखकर
कोई गर्दिश नहीं थी गर्दिश -ए -अय्याम से पहले

मेरी तकदीर का सितारा भी अभी टूट गया
आवाज़ आई थी शिकस्ते जाम से पहले

तुम्हारी याद हमेशा  क्यों आती है हमें
सितारे फलक में चमकते है शाम से पहले

कैसे कोई जानेगा दिल में उमड़ते हुए तूफ़ान
इक  सन्नाटा सा छाया है कोहराम से पहले

मेरी बर्बादी के अफ़साने जहाँ में जब होंगे
तुम्हारा नाम भी आएगा मेरे नाम से पहले
@मीना गुलियानी 

भजनमाला ----64

सीताराम कहो राधेश्याम कहो बीती जाए उमरिया रे 

तूने गर्भ में प्रभु से किया था वादा 
मै भजन करूँगा हर लो बाधा 
आके भूल गया सुख में फूल गया 
तेरी बदली नजरिया रे 

 तूने जोड़ा यहाँ परिवार बड़ा 
पाया धन वैभव अधिकार बड़ा 
हुआ अभिमानी मति बोरानी 
चला खोटी डगरिया रे 

जो बीत गया उसे क्या रोना 
जब भोर भी तब क्या सोना 
होक प्रेम मगन  करले हरि का भजन 
भरले नैन गगरिया रे 
@मीना गुलियानी 

भजनमाला ---63

मेरे दाता मेरे सांई तुझे दिल ने पुकारा है 
तू ही तो एक दुनिया में दुखी दिल का सहारा है 

सुना है तुम दयालु हो दया हरदम लुटाते हो 
ये आंचल द्वार पर तेरे मेरे सांई पसारा है 

नहीं है पास मेरा मन करूँ  कैसे तेरा दर्शन 
सुना है काज भगतों का सांई तूने संवारा है 

भंवर में आ गई नैया नहीं है कोई खिवैया 
तू ही मांझी है नैया का तू ही मेरा किनारा है 

तुम्हें दुनिया चढ़ाती है सदा फूलों की मालाऐं 
मै अपना आप लाई  हूँ तेरे चरणों पे वारा है 
@मीना गुलियानी 

शुक्रवार, 1 जुलाई 2016

दिल तुम्हारा न होता

अगर तेरी बाहों का सहारा न होता
तो ये दिल कभी भी तुम्हारा न होता
अगर आपने फिर पुकारा न होता
तो मेरा  लौटना दुबारा न होता

बुलाया है तुमको तुम्हीं को पुकारा
चले आओ फिर है ये दिल तुम्हारा
सितम आपका गर गंवारा न होता
मुहब्ब्त में दिल तुम्हारा न होता

चुराई है तुमने नींदें हमारी
कितनी है प्यारी शरारत तुम्हारी
मगर आज फिर गुज़ारा न होता
ये दिल तेरे एहसां का मारा न होता
@मीना गुलियानी

अपनी राह चल दिया

कल एक फूल ने पूछा मुझसे 
तुम क्यों चुपचाप उदास रहते हो 
बोल तुम अपनी पीड़ा मुझसे कहो 
यूं न गुमसुम से बैठे रहो 
दिल क्यों है हैरान और परेशान 
किसने किया है तुम्हें पशेमान 
अपनी उलझनें बताओ तो ज़रा 
क्यों खामोश से हो बताओ ज़रा 
मै चुपचाप सा रहा सुनता ही रहा 
अब मुझे लगा यूं कोई मिल गया 
गम हल्का करलूँ यकीं मिल गया 
मै चुपके से चला पगडण्डी के पार 
धीरे धीरे से आई वो ठंडी बयार 
छूके मुझे होले से कानों में बोली 
कुछ बातें मुझसे करो मेरे हमजोली 
जाने क्या नशा सा छाने  लगा 
उसकी बातें सुन मै मुस्कुराने लगा 
उसने हल्की सी की सरगोशियाँ 
वादियों में गूँजी मेरी हिचकियाँ 
मेरा सार गम आंसुओं ने ढल गया 
मुस्कुरा के मै भी अपनी राह चल दिया 
@मीना गुलियानी 

तेरी याद ही दिल में समाई

ऐसी कोई सुबह न आई शाम न आई
हर पल तेरी याद ही दिल में समाई

दिल ने हर पल पुकारा है तुझको
रंजिशों गमों से उबारा है दिल को
ज़माने ने मुझपे तोहमतें है लगाई

डूबा है अब तो दिल का सफीना
तुम्हीं मेरे माँझी बचा लो मेरी जां
मुश्किल में तुमको सदा है लगाई

मेरे हमराह मेरी मंजिल भी तुम हो
चाहत मेरी मेरे हमदम भी तुम हो
दुनिया से कर ली हमने बेवफाई

तेरे लिए हम ये जहाँ छोड़ देंगे
कभी आंच तुमपे आने न देंगे
ठुकरा के जहाँ को लौ तुमसे लगाई
@मीना गुलियानी 

जाने क्या बात है

जाने क्या बात है नींद नहीं आती ढलने को रात है

उसने क्या है कहा जो था  मैने सुना
अनकही बातों का सिलसिला जो चला
बातों बातों में ढलने लगा जो समां
अब शुरू हो गई फिर से वो बात है

तूने जो भी कहा वो अधूरा कहा
वादियों से भी आई है इसकी सदा
चुपके चुपके सबा कह गई कान में
आज होने लगी फिर वो बरसात है

फूल पत्ते चिनारों के कहने लगे
धड़कने बनके दिल में वो रहने लगे
खामोशी बन गई है जुबां आज तो
खुशियों की ऐसी मिली सौगात है
@मीना गुलियानी