सोमवार, 15 जुलाई 2019

होती रहती हैं सरगोशियाँ

वीरान सी सुबह देती है दस्तक
दर्द के गुल छाई ग़म की बदलियाँ
तुम मिले देर से दिल में हैं उदासियाँ
अजीब सी होती रहती हैं सरगोशियाँ
@मीना गुलियानी

काम आयेगा

कोई न कोई हुनर तो सीख लो
बेसबब न तुमसे जिया जाएगा
कल गर मुश्किल से हुआ सामना
ये हुनर फिर तेरे ही काम आयेगा
@मीना गुलियानी

कैमरे में कैद करूँ

यही सोचती हूँ कुछ वक्त मिल जाए
खूबसूरत लम्हों को कैमरे में कैद करूँ
@मीना गुलियानी 

मोड़ पे ले जाए

हर कदम सोचकर हम बढ़ा रहे हैं
मंजिल पे कदम कहीं न डगमगाएँ
वक्त की हलचल बनी हुई है
जाने कब किस मोड़ पे ले जाए
@मीना गुलियानी 

शनिवार, 6 जुलाई 2019

प्रतिदान में दे देती है

सदियों से हमेशा पुरुष
स्त्री को छलता आया है
प्राचीन कवियों ने नारी को
छलनामयी माना है जबकि
स्थिति बिलकुल विपरीत है
नारी तो स्वभाव से ही कोमल
दयावान, भोली भाली होती है
वो निष्कपट रूप से सहज ही
पुरुष पर विश्वास करके
अपना सर्वस्व उसके प्रेम
के प्रतिदान में दे देती है
@मीना गुलियानी 

शुक्रवार, 5 जुलाई 2019

सुकूँ न मिल पायेगा

पास से वो गुज़र गए
हम तो वहीं ठहऱ गए
पेड़ों से पत्ते झड़ गए
सब फूल भी बिखर गए
पल भर जो रुकते वो पास
न होता मन हमारा उदास
क्यों चेहरे पे है बेचारगी
ऐसी भी क्या है नाराज़गी
ये गुलशन अगर मुरझायेगा
तुमको सुकूँ न मिल पायेगा
@मीना गुलियानी 

हमें रुलाओ मत

देखो बात बढ़ाओ मत
इतना हमें सताओ मत
सीने में मेरे है दर्द भरा
जख्मों को जगाओ मत
मान भी जाओ कहना मेरा
इतना हमें रुलाओ मत
@मीना गुलियानी 

गुरुवार, 4 जुलाई 2019

साहिल बना दिया

आसान नहीं था आकाश अपना तलाशना
आसान नहीं था मन का रास्ता नापना
क्योंकि हर नज़र प्रश्न पूछ रही थी
उस पर मेरी ख़ामोशी ज़ुबान बन गई
मेरी हसरतो ने मुझे बेज़ार कर दिया
मँझधार को ही अपना साहिल बना दिया
@मीना गुलियानी 

आगे बढ़ना ही होगा

तुमको उगते सूरज की जैसे
आगे बढ़ना ही होगा
चाहे दिल तुम्हारा टूटे
चाहे तुमसे कोई रूठे
सब कुछ तुम्हें भुलाकर
वर्तमान में जीना होगा
  जड़ता को चैतन्य में
परिवर्तित करना होगा
@मीना गुलियानी





मुस्कान में है जादूगरी

दिल तो तेरी मुस्कान पर मिट गया
कैसे सम्भालूँ गया मेरा जिया
कहाँ इसे ढूँढूँ फिरूँ नगरी नगरी
तेरी मुस्कान में है जादूगरी
@मीना गुलियानी