रविवार, 3 मई 2015

गुरुदेव के भजन-186 (Gurudev Ke Bhajan186)




बहुत देर से मेरी आँखे थी प्यासी बाबा आते आते बहुत देर करदी 

बहुत कुछ तुमको है बतलाना अभी हाले दिल भी तुम्हें है सुनाना 
अभी तो शुरू भी हुई न कहानी फ़साना सुनाते बहुत देर करदी 

अश्कों ने कर दिया मजबूर ऐसे सुनाये अगर दास्ता भी तो कैसे 
हकीकत यही है जो तुझको पता है मगर लब पे लाते बहुत देर करदी 

सुनेगा अगर तो हंसेगा ज़माना बहुत बेदर्द बेवफा है ज़माना 
तुझसे कोई भी पर्दा नहीं है दिल में छुपाते बहुत देर करदी 



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