रविवार, 17 मई 2015

गुरुदेव के भजन 314 (Gurudev Ke Bhajan 314)


तर्ज ----बचपन की मुहब्बत को 

चरणों में आई हूँ तुम विनती मेरी सुनना  
खाली है झोली मेरी दातार मेरे भरना 

तेरे दर के सिवा कोई नही और ठिकाना मेरा 
हर कोई बेगाना है नही अपना कोई मेरा 
बाबा तुम न ठुकराना फरियाद मेरी सुनना 

टूटी है नाव मेरी लहरों के थपेड़े है 
आशा तृष्णा मद लोभ मेरा रास्ता घेरे है 
मेरी अर्ज सुनलो तुम भव पार मुझे करना 

कहाँ जाऊं पुकारूँ किसे फरियाद तुम सुनलो 
बाबा कैसे रिझाऊं तुम्हें अज्ञान तुम हर लो 
अन्जान हूँ रस्ते से सिर हाथ तुम धरना 

दिल डगमग डोले है चौरासी का घेरा 
बाबा फन्द काटो तुम न हो पुनर्जन्म मेरा 
चरणो से लगलो तुम हर बाधा को हरना 

_____________________________

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें