मंगलवार, 19 मई 2015

गुरुदेव के भजन 335 (Gurudev Ke Bhajan 335)



तर्ज ----तोरा मन दर्पण कहलाये 

 बाबा दर्श जो तेरा पाये युग युग से भटके प्राणी का 
सोया भाग जग जाये 

तेरा द्वारा सच्चा द्वारा घाटगेट है धाम 
जो कोई निश्चय लेके आवे पूर्ण होवे  काम 
बाबा के दरबार से कोई खाली हाथ न जाए 

गुरुपूनम के शुभ अवसर पर हर साल मेला लगता 
बाबा जी के मंदिर में  भी  खूब भंडारा लगता 
उस दिन को तुम भूल न जाना मांगी मुरादें पायें 

सब पर अपना  प्यार लुटाते दुखी को गले लगाते 
आंसू का कतरा मोती बनता ख़ुशी के फूल लुटाते 
क्या कहने उसकी महिमा के जो मांगे सो पाएं 


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