मंगलवार, 19 मई 2015

गुरुदेव के भजन 338 (Gurudev Ke Bhajan 338)




तर्ज --मेरी तस्वीर लेकर क्या करोगे 

तेरा ही दर्श पाकर हम टलेंगे  दर्श पाकर 
तेरे दरबार से न हम टलेंगे आज तेरा दर्श पाकर 

तेरी आँखों से जैम पीते है उसी की मस्ती से हम  जीते है 
बड़ी होगी तुम्हारी मेहरबानी दिखादो अपनी सूरत नूरानी 
जो तुझको है नही ये भी गंवारा तो करलूं मौत से भी मै किनारा 
जिक्र आएगा तेरा लब पे अक्सर कि तुम आया करोगे याद अक्सर 
न होगा जब तुम्हारा कर्म तो रो रो कर मरेंगे ------ आज तेरा दर्श पाकर 

तेरी तस्वीर दिल में रहती है जो मुझसे बातें  करती रहती है  
हो तुम बड़े दयालु और भोले रहते हो अपने खजानो को खोले 
मेरी है झोली खाली आज भर दो अपनी मेहर की नज़रे मुझ पे करदो 
मेरी इच्छा है क्या तुम जानते हो है क्या दिल में तुम्ही पहचानते हो 
न जाने तुम क्यों अनजान बन रहे हो दुःखों से मेरा दामन भर रहे हो 
न अब विनती सुनोगे तो जीकर  क्या करेंगे -------- आज तेरा दर्श पाकर 



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