बुधवार, 20 मई 2015

गुरुदेव के भजन 348 (Gurudev Ke Bhajan 348)



तर्ज ---न जाओ सैया 

आ जाओ बाबा पुकार सुनलो सदा ये दर पे लगा रहे है 
माफ़ करना गुनाह हमारे  ये आस तुमसे लगा रहे है 

हुई जो भूलें भुला भी देना शरण में अपनी तुम मुझको लेना 
ज़माने भर के सताए हम तो तुमसे ही आशा लगा रहे है 

ये जान निकले तुम्हारे दर पे जीवन की शमा है तेरे दम से 
रटे तुम्हारा हम नाम निशदिन ध्यान तुम्हारा लगा रहे है 

न भूले सिमरन कभी तुम्हारा हो सिर पे हरदम हाथ तुम्हारा 
वचन निभाना बाबा हमारा अलख जो हम अब लगा रहे  है 

जब मेरे ये प्राण निकले दिल से तुम्हारा ही नाम निकले 
भक्ति भाव से भरो ये जीवन यही तमन्ना सुना रहे है 


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