हमसे रूठो न बाबा मै विनती करूँ , हम है बालक अगर भूल हो जाती है
लौ लगन नाम की यूं ही रोशन रहे , हम तो मूर्ख है अगर भूल हो जाती है
बेसहारों का तुम हो सहारा यहाँ , सारे किस्मत के मारे ही आते यहाँ
तुम तो दाता हो, हम है भिखारी बाबा ,आखिर इन्सां है भूल हो जाती है
मुझको मक्का मदीना मिला है यहाँ , काशी मथुरा और सारे ही तीर्थ यहाँ
मै लगाउँगा माथे विभूति वो ही, तेरे चरणो की अगर धूलि मिल जाती है
यूं न रूठो दो बाबा सहारा मुझे, वरना दर पे मेरा दम निकल जायेगा
मुझको चरणो से अपने जुदा न करो, भूलकर भी अगर भूल हो जाती है
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