रविवार, 31 मई 2015

माता की भेंट - 40

जब देखा निगाह पसार , बीच संसार , एक ही द्वारा ,
मैया बिन कौन हमारा 

मतलब का हर इक नाता है , मतलब बिन कोई नही चाहता है 
मतलब का ये संसार देखा सारा 

जब अस्सू के दिन आते है , दर्शन को प्रेमी जाते है 
सब संगत रलमिल बोले जय जयकारा 

वहाँ जगमग ज्योति जग रही है , चरणो में गंगा वग रही है 
नहाने को निर्मल जल का चले फुआरा 

वो सुंदर गुफा तुम्हारी है , मोहे आस दर्श की भारी है 
जी चाहता कब देखूँगा अान नज़ारा 

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