मंगलवार, 2 जून 2015

माता की भेंट - 62



शेरा वाली ज़रा , मुझपे करदे दया , तेरी संतान हूँ,   मेरी सुनले सदा 
जग के जंजाल में, मोह के काल में , फंसके हैरान हूँ , सुनले मेरी सदा 

तू मेरी स्वामिनी , मै तेरा दास हूँ , तेरे दर का भिखारी , मै तेरे पास हूँ 
खोजता फिर रहा, मै यहाँ से वहाँ , एक अनजान हूँ 

 

मेरे जीवन की ज्योति तेरे हाथ है , मेरी आशा की डोरी तेरे हाथ है 
तू मिलेगी कहाँ , मुझको इतना बता , मै परेशान हूँ 


मेरे मन पे चढ़ी पाप की है घटा , अपने दीदार से तू इसे दे हटा 
मुझको आके बता , भक्तो की सुन सदा , में तो अज्ञान हूँ 


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