शनिवार, 21 नवंबर 2015

तेरी याद में




 तेरी याद में  दुनिया को भी भुलाये हुए
ज़माना गुज़रा है अपना  ख्याल आये हुए

                     किसी की ज़फ़ाओं का ज़िक्र क्या कीजे
                      किसी को  परवाह  न हो तो क्या कीजे
                      हम  तो है अपनी खताओं से मात खाए हुए

दिल मेरा तेरे ख्यालों में ही है खोया हुआ
इस कदर खोया रहा गेसुओं में सोया हुआ
लेके होंठों पे हँसी दिल पे चोट खाए हुए 

तेरी याद भुलाने चला हूँ




तेरी याद दिल से भुलाने चला हूँ
मै खुद अपनी हस्ती मिटाने चला हूँ

                    जला है इस तरफ आशियाना हमारा
                    भला इस कदर भी क्या हमने बिगाड़ा
                     मै खुद अपनी किश्ती डुबाने चला हूँ

न तुमसे है शिकवा न कोई शिकायत
पता क्या  था तुम हो बेमुरव्वत
भंवर में खुद को मिटाने चला  हूँ 

शुक्रवार, 20 नवंबर 2015

पास बैठो ज़रा



पास बैठो ज़रा चैन मिल जायेगा
वक्त कैसा भी हो वो गुज़र जायेगा

                   दूर हमसे न होना गर भूल हो
                   माफ़ करना मेरी भूल चूक को
                   दिन थमेगा नही वक्त टल जायेगा

तुम तो यूँ ही सदा मुस्कुराया करो
पलकें आंसुओ में न डुबाया करो
जुल्फें संवरे तो चंदा निकल आएगा

                 गेसुओं में छुपा लो हर इक राज़ को
                 वक्त नाज़ुक कहीं न पर्दा फ़ाश हो
                 शमा रहते ही परवाना जल जाएगा 

धीर बंधा जाओ



इस दिल पे ज़रा तरस खाओ , तुम अब तो धीर बंधा जाओ
अब आन मिलो न तरसाओ , इस मन को आस बंधा जाओ

                    रोती है आँखे पल पल  छम छम
                    होठों पर मुस्कान दिए जाओ

जाने कबसे दिल रोया है
तेरे सपनों में खोया है

                         दिल पगला है दीवाना है
                        ये सच है या अफ़साना है

कब तलक रहूँगी मै प्यासी
अमृत रस को टपका जाओ

                      इक झलक ज़रा दिखला जाओ
                       इस मन की प्यास बुझा जाओ                

बुधवार, 18 नवंबर 2015

दुआएँ लिए जा



सदाएं दिए जा दुआएँ लिए जा
जफ़ाओं  के बदले वफ़ाएं लिए जा

                  दिल ने न छोड़ा वफाओं का दामन
                  ज़माने के हर गम उठाये तो क्या गम

वफ़ा हमने की है दुआ तुझको दी है
सितम चाहे हमपे तू लाखों किये जा

                 न हो कभी रूसवा हमारी कहानी
                 इतनी अगर तुम करो मेहरबानी

सिए होंठ हमने लबों पे है ताले
दे हमें तू ख़ुशी चाहे आंसू दिए जा 

दिल को कहने दो



दिल पगला है ये तो इक दीवाना है कहता है जो कहने दो
इसी हाल में इसको रहने दो मस्ती में ही खुश रहने दो

                      क्या इसे जीने का हक नहीं
                      क्या बोलने पर  भी ताले है
                      हम तो फिर दिल वाले है
                      कुछ हमको भी तो कहने दो

ज़िंदा है अब कुछ बोलेंगे
दिल को तराजू में तोलेंगे
अधिकार हमें भी जीने का
तुम हमको भी खुश रहने दो 

कोयलिया गाने लगी



आज जाने कोयलिया क्यों गाने लगी
मेरे मन की कली भी मुस्कुराने लगी

             दिल में उमंगो की  क्यारी खिल उठी
             मन की बगिया भी आज महक उठी

हर कली खिलके गीत गाने लगी
चंपा चमेली भी खुशबु लुटाने लगी

            तेरे पाँव की आहट  भी आई तो है
            लगता है उस पार से कोई आने को है

हर आहट पे तेरी खुशबु सी आने लगी
मन ही मन मै तो सपने सजाने लगी

मंगलवार, 17 नवंबर 2015

गुज़रा पल



तड़प तड़प के गुज़ारी है जिंदगी हमने
सुनी ज़रूर है देखी न कभी ख़ुशी हमने

दिल में एहसास है बीते हुए लम्हों का
इक दर्द सा उठता है दिल से  जख्मों का

गुज़रा पल कैसे भुलाऊँ तुम बताओ मुझको
भूले से ही सही एक आवाज़ तो दे दो मुझको

लौटकर पास मेरे तुम यूँ ही चले आओगे
 क्यों ऐसा लगे सपनो में मुस्कुराओगे


अब क्या करूँ मै




मुझे जाना बहुत ही दूर है
पाँव चलने से अब मजबूर है
पिया कैसे चलूँ मै हाय अब क्या करूँ मै

तेरे संग में जीना ज़रूर है
साथ रहना मुझे मंज़ूर है
पिया कैसे रहूँ मै बोलो अब क्या करूँ मै

गाँव तेरा बहुत ही दूर है
 दिल मिलने पे मजबूर है
पिया कैसे मिलूँ मै  बोलो अब क्या करूँ मै

मेरे दिल का बोलो  क्या कसूर है
तेरा दिल क्यों बना मगरूर है
हाय अब क्या करूँ मै जीते जी ही मरूँ मै  

दिल तेरा हो गया



सपनों का जहाँ  अब सो गया
मेरी दुनिया में अँधेरा हो गया

                    अब शाम की तन्हाईयाँ भी चुभने लगी
                    इक अगन अनबुझी सी सुलगने लगी
                     देखा तुझे तो लगता है  सवेरा हो गया

सिमटने लगे तारागण टिमटिमाते हुए
मन में नगमों को  गुनगुनाते हुए
मेरा दिल काबू में तेरे हो गया 

मंगलवार, 10 नवंबर 2015

दिल तेरे नाम



कोई कहदे जहाँ वालों से इस जग वालों से
कि तुझपे मिट गए दिल तुझे लिख गए

अब चाहे जले ये ज़माना बनाये फ़साना
नहीं घबराएंगे  हम
दिल हमने तुम्हीं को दिया है
ये तय कर लिया है
तो क्या परवाह है  जो दिल तुझे लिख गए

दिल की चोरी हुई है जबसे
फ़िदा दिल है तबसे
तो अब क्यों कतराएं हम
न धोखा दिया है किसी को
न रुसवा किसी को जो दिल तुझे लिख गए

दिल को था इक दिन जाना
बना क्यों फ़साना
क्यों इससे घबराये हम
अब रूठे या रिश्ता टूटे
डरे क्यों किसी से जो दिल तुझे लिख गए 

समझ को समझो



समझ  समझ के समझ को समझो
समझ समझना भी इक समझ है
समझ के भी जो अभी न समझा
मेरी समझ में वो नासमझ है

                 वफ़ा निभाना तुम्हे न आया
                 सीखो पहले वादा निभाना
                  दिल शीशे का टूटेगा तो
                  होगा मुश्किल इसको बचाना

पत्थर दिल को मोम बनाना
हमें न आता तुम्हीं बताना
दिल है पगला कैसे सम्भले
आके होश में इसको लाना

              वादा किया तो आके निभाना
               पड़े जो मुश्किल आके बचाना
               दिल तो एक आवारा बादल
               इसको बस  इक तूने जाना 

शुक्रवार, 6 नवंबर 2015

क्यों दूर है




कभी दूर रहके भी पास थे अब पास रहके भी दूर है
जाने क्यों हुए ये फासले यही सोचके मजबूर है


                     क्या ग़िला करें किस बात पर
                      क्यों निगाह तुमने फेर ली

किस बात पर नाराज़ हो
क्यों हमसे बाज़ी खेल ली

                     क्यों निगाह तेरी बदल गई
                      हुआ ऐसा कैसा कसूर है


दिल मेरा तड़प रहा यहाँ
वहाँ तुम भी तो हो परेशां

                  दिल ज़ख्म खाए पड़ा हुआ
                किसको दिखाएँ हम निशां

अब मान  जाओ कहा मेरा
माफ़ करदो हुआ जो कसूर है