Meena's Diary
शुक्रवार, 4 दिसंबर 2015
ज़रा आहिस्ता चल
दर्द की बारिश अभी है कम
ज़रा आहिस्ता चल
तुझसे मिलने और बिछुड़ जाने का गम
ज़रा आहिस्ता चल
मेरी आँखों में ना सही
उस रेहबर की याद लेकिन
उसकी आँखें भी हुईं नम
ज़रा आहिस्ता चल
न हो तू इस कदर खुश ऐ दिल
उनसे मिल जाने के बाद
अब न कर रुसवाई का गम
ज़रा आहिस्ता चल
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