मंगलवार, 8 दिसंबर 2015

रूठे पिया



अब  हमे रूठे पिया को मनाना होगा
देर से ही सही ये फर्ज निभाना होगा

                  आपसे रूठके हम तो क्या ख़ाक जिए
                   कई  इल्जाम लिए और सौ इल्जाम दिए
                   आज के बाद हमे रिश्ता निभाना होगा

देर से आज ये जाना कि मुहब्बत क्या है
अब हमे सोने और चाँदी की जरूरत क्या है
प्यार से बढ़के भला कोई न गहना होगा

                दिल हमारा तेरे ही प्यार में मगरूर रहा
               जिंदगी भर तेरे ही प्यार में मशगूल रहा
               अब हमे प्यार का हर कर्ज चुकाना होगा 

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