सोमवार, 7 दिसंबर 2015

सारे अरमां खो गए



सारे अरमां मेरे  खो गए दूर हमसे जो तुम हो गए

                 तुमने वादा किया पर निभाया नही
                 साथ मेरा भी क्या तुमको भाया नहीं
                  जाने क्यों तुम खफा हो गए
                 क्यों ये शिकवे गिले हो गए

दिल तो नाजुक ही था टूटना ही तो था
यूं इसे तोडना भी तो लाज़िम न था
दिल के अरमां मेरे सो गए
सपने वीरान से हो गए

                दिल दुखाया मेरा न मनाया मुझे
                मेरे नाजुक से दिल ने बुलाया तुझे
                दिल के टुकड़े मेरे हो गए
                रास्ते जो जुदा  हो गए 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें