शनिवार, 30 जनवरी 2016

तमन्ना



इक यही तमन्ना है और कोई चाह नहीं 
लुट जाएं तेरे प्यार में और कोई राह नहीँ 
सहते जाएँ सितम जमाने के 
मुस्कुराते रहें 
मिले कितने ही गम 
गुनगुनाते रहें 
प्यार की हसीन वादी में 
चाहत के फूल खिलाते रहें 
गम न कर कोई गर जलाए आशियाँ 
उजड़ा आशियाँ फिर बसाते रहें 
झड़ गए पत्ते शाख से तो क्या हुआ 
प्यार के सुमन फिर खिलाते रहें 
कोई न रह जाए गम अछूता 
सबको गले से हम लगाते रहें 

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