सोमवार, 18 जनवरी 2016

आँखों में छुपा राज़


इन आँखों के पार जो मैने देखा 
दिखी उसमें खिंची मेरी ही रेखा 

                  न डूब जाऊँ कहीं इस समुन्द्र में 
                  न कर कैद मुझे अपनी अंजुमन में 
                  कि खो दूँ अपने मै होशो हवास 
                 आ गई मै अपनी मंजिल के  पास 

ऐसे लगा जैसे पुकारा किसी ने 
बजाया हो जलतरंग किसी ने 
देखा  झुकके तेरी आँखों में मैने 
 लगा अनबूझी बात जान ली मैने 

                मै सिमटती खिंचती सी चली आई 
                तेरी आँखों की  चितवन ले आई 
                देखने को अपनी बोझिल पलकें उठाई 
                तेरी नीर भरी उनींदी आँखे छलछलाई 

अब वो राज जान गई थी मै 
बात क्या है पहचान गई थी मै 
क्या थी तेरे दिल की मजबूरी 
आँखों से वो राज जान गई थी मै 

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