सोमवार, 14 मार्च 2016

आज आसमां छू लेंगे हम

आज  आसमां  छू लेंगे हम
पिया संग में ले चल मुझे तारों के पार
छोटा सा बना लें आशियाँ
दुःख का न हो कोई निशां

तू कहे जो आज अपनी मस्ती में
इस हवा के संग झूम लूँ
मस्ती है आज इन हवाओं में
 बादलों सी मै उड़ती फिरूँ
चाँद से कहदो  इधर
देखे न यूँ घूरकर
आती है मुझको शर्म
 करले अपना मुँह उधर

तारे गगन में देखो आज ये
कैसे है टिमटिमा रहे
जुगनू कैसे रात की
स्याही में जगमगा रहे
फूलो से खुशबू उडी
देखो मै तो उड़ चली
बादलों के गाँव में
प्रीत  घटाओं में
@मीना गुलियानी 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें