रविवार, 3 अप्रैल 2016

जाके किसे सुंनाएँ

ये तराने प्यार के हम जाके किसे सुंनाएँ
दिल में भरें है अरमां कहदो कि न रुलाएं

                   इन आँसुओं के मेरे सैलाब न रुके है
                   गम से भरा जहाँ है देखो जिधर भी जाएँ

दिल के गमों का लेकिन कोई नहीं ठिकाना
इन बादलों से कहदो , कहीं और बरस जाएँ

        तकलीफ क्यों तुम्हें दें  हमको  नहीं गंवारा
ये मेरा नसीब जाने, कहाँ आशियाँ बनाएं
@मीना गुलियानी 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें