गुरुवार, 26 मई 2016

भजनमाला -------13

तेरे दर को छोड़कर किस दर जाऊँ मै 
सुनता मेरी कौन है किसे सुनाऊँ मै 

जबसे याद भुलाई तेरी  लाखों कष्ट उठाये है 
न जाने इस दिल के अंदर कितने पाप कमाए है 
हूँ शर्मिंदा अापसे क्या बतलाऊँ मै -------------

मेरे पाप कर्म जो तुमसे प्रीत न करने देते है 
जब चाहूँ मै मिलूँ आपसे रोक मुझे ये लेते है 
कैसे स्वामी आपका दर्शन पाऊँ मै -------------

तुम हो नाथ वरों के दाता तुमसे सब वर पाते है 
ऋषि मुनि और योगी सारे  तेरा ध्यान लगाते है 
दे दो छींटा ज्ञान का होश में आऊं मै -------------
@मीना गुलियानी 

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