गुरुवार, 19 मई 2016

अकेले है पुकारें तुझे कहाँ हो

अकेले है पुकारें तुझे कहाँ हो
चले आओ सुनके सदा जहाँ हो

दिल तुझे ढूँढता है न तेरा कोई पता है
कहाँ खोजूँ मै जाऊँ मिले न रास्ता है

ये मदहोशी का आलम हुए है होश भी गुम
न जीते है न मरते बताओ क्या करें हम

दिन ये डूब रहा है अभी है रात बाकी
कहो कैसे बिताएं सुहानी शाम एकाकी

बहारों के है मेले मगर हम है अकेले
चले  आओ  अब तुम कहाँ तक गम ये झेलें
@ मीना गुलियानी 

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