गुरुवार, 12 मई 2016

आज मेरे ज़मीं पे नहीं है कदम

मिल गए है मुझे आज मेरे सनम
आज मेरे ज़मीं पे नहीं है कदम

ओ बहारो  सुनो आज ठहरो ज़रा
फूल मुस्कानों के आज दो तुम सजा
रौशनी से तुम अपनी जलाओ दीये
बुझ न पाएँ हवा से जो जले थे दीये
होगी ये आँखे अब तो कभी भी न नम

आएंगे वो सनम तुम संवारो मुझे
फूलों कलियों से कहदो  निखारें मुझे
मेरी किस्मत जगी आज आएंगे वो
आशियाँ मेरा फिर से सजाएंगे वो
आज चल दूँ जिधर ले चलें ये कदम

जादू छाया हवा में सम्भालो मुझे
उड़ती जाऊँ हवाओं में थामो मुझे
आज दिल में मेरे अरमा है जगे
कबसे सोये थे सपने लगा फिर जगे
दिल बहकने लगा होश खोएं न हम
@मीना गुलियान

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