मंगलवार, 24 मई 2016

न छूटेगा ये हाथ

जिंदगी भर  के लिए माँगा मैने तेरा ही साथ
अब चाहे जान चली जाए  न छूटेगा ये हाथ

उसने जब आँखों ही आँखों  में इज़हार किया
दिल मेरा डूब गया इतना मुझे प्यार किया
 गम न  याद आये कभी ऐसी थी वो हालात की रात

सुर्ख आँचल  था वो उसका जो लहराता गया
मेरे जिस्म और रूह को भी महकाता गया
शोख नज़रों से थी बिजली गिराने की वो रात

नरम नाजुक वो फूलों की तरह कोमल वो हाथ
पंखुड़ी जैसे कंपकपाते हुए धड़कते दिल का साथ
डूबते राही को मंजिल मिली पाया उसका साथ
@मीना गुलियानी 

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