गुरुवार, 16 जून 2016

भजनमाला --------41

अब चेत कर अनाड़ी विश्वास धार मन में 
बाहर क्या ढूँढ़ता है प्रभु को सम्भार तन में 

तू हो रहा बहिर्मुख प्यारे लगे क्षणिक सुख 
अंतर् नहीं टटोले खोजे गुफा में बन में 

क्यों जाए काशी मक्का सोरो गया में है क्या 
भीतर भी त्रिवेणी कर स्नान तू मनन में 

झूठे है तिलक माला भगवान यों न पावें 
अजपा है जाप जप ले हो मस्त एक धुन में 
@मीना गुलियानी  

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