मंगलवार, 28 जून 2016

भजनमाला ----57

मुझे ऐसा बना दो मेरे प्रभु जीवन में लगे ठोकर न कहीं
जाने अन्जाने भी मुझसे अपकार किसी का हो न कहीं

उपकार सदा करता जाऊँ दुनिया अपकार भले ही करे
बदनामी न हो जग में मेरी कोई नाम भले ही दे न कहीं

तू ही इक ऐसा साथी है दुःख में भी साथ नहीं तजता
दुनिया ये प्यार करें न करें खोऊँ तेरा भी न प्यार कहीं

जो तेरा बनकर रहता है काँटों में गुलाब सा खिलता है
कितने ही कांटे पाँव चुभें पर फूल भी हों कांटे न कहीं

मन में हो पूर्ण कलश मेरा आँखों में ज्योति छलकती हो
तुमसे मधु पीने को ऐसा जगता ही रहूँ सोऊं न कहीं

मै क्या हूँ क्या मेरा पथ है यह सत्य सदा मै समझ सकूँ
इस सत्य पथ पर चलते चलते मेरे पाँव थके न रुकें न कहीं
@मीना गुलियानी 

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