मंगलवार, 14 जून 2016

तुम्हारा यहाँ क्या काम है

यहाँ तुम क्यों चले आए
तुम्हारा यहाँ क्या काम है
ये तो सिर्फ एहसासों की बस्ती है
जो बरसों से वीरान  गुमनाम है
कभी यहाँ भी फूल खिलते थे
दो प्रेमी छुपके मिलते थे
भँवरे गुनगुनाया करते थे
फूल मुस्कुराया करते थे
पवन के झोंके खुशबु लुटाया करते थे
फूलों का पराग किसी ने चुरा लिया
इनकी हँसी किसी ने छीन ली
ऐसा एक सैयाद आया जिसने
इनकी नूरानी छीन ली
अब न वो बोल है
न हँसी न मुस्कुराहट
बस अब है एक कसमसाहट
फुसफुसाहट ,सिहरन,छटपटाहट
@मीना गुलियानी 

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