बुधवार, 15 जून 2016

जल्दी लौट आओगे

देखो तुम यहाँ से चले तो न जाओगे
जाओगे तो मुझे भी तड़पता ही पाओगे
कैसे जी पाऊँगी मै तुम्हारे बिन
लम्हा लम्हा साल सा लगता है
काटे से भी न दिन ये कटता है
लम्बी लम्बी जुदाई की रातें होती है
सदमों में डूबी ये बरसातें होती है
तुम्हारे बिन दुनिया मेरी वीरान है
ऐसा लगता है पसरा हुआ श्मशान है
तुम्हारे आने से ही बहार आती है
हर कली फूल बनके मुस्कुराती है
हवा गुनगुनाती है पेड़ों की टहनी लहलहाती है
फूलों की शबनम गीत गाती है
शाख़ों पे सब्ज पत्तों की बहार आती है
पंछी चहचहाते है भँवरे गुनगुनाते है
वादा करो तुम अब कहीं  जाओगे
जाओगे तो जल्दी लौट आओगे
@मीना गुलियानी 

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