गुरुवार, 2 जून 2016

अरमाँ भूल गए

तुम्हें देखा तो देखते रह गए
मन के परिंदे उड़ान भूल गए
समुन्द्र का ज्वार थम सा गया
लहरों ये का तूफ़ान थम सा गया
तेरी मुहब्ब्त की दिलकशी में हम
दीवाने होकर आखिरी अंजाम भूल गए
सब है नसीब में तेरा नाम भूल गए
दिन रात की तन्हाई आराम भूल गए
चल पड़े घर से तेरी तालाश में फिर
आगाज़ तो किया अंजाम भूल गए
मेरी खताओं की सज़ा मौत ही सही
हम तेरे तसव्वुर में अरमाँ भूल गए
@मीना गुलियानी 

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