शुक्रवार, 1 जुलाई 2016

जाने क्या बात है

जाने क्या बात है नींद नहीं आती ढलने को रात है

उसने क्या है कहा जो था  मैने सुना
अनकही बातों का सिलसिला जो चला
बातों बातों में ढलने लगा जो समां
अब शुरू हो गई फिर से वो बात है

तूने जो भी कहा वो अधूरा कहा
वादियों से भी आई है इसकी सदा
चुपके चुपके सबा कह गई कान में
आज होने लगी फिर वो बरसात है

फूल पत्ते चिनारों के कहने लगे
धड़कने बनके दिल में वो रहने लगे
खामोशी बन गई है जुबां आज तो
खुशियों की ऐसी मिली सौगात है
@मीना गुलियानी 

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