गुरुवार, 7 जुलाई 2016

खुदा से तुझे माँगता हूँ

तेरे दिल के ;छोटे से इक कोने में
मै अपना घर बनाना चाहता हूँ
तेरी सुंदर मूर्त को पूजना चाहता हूँ
न  मुझे कुछ और ख्वाहिश है
न मुझे चाहत है इस ज़माने की
सज़दे में दोनों हाथ ऊपर उठाकर
हर दुआ में खुदा  से तुझे माँगता हूँ
तुझसे मिलने की उम्मीद में हर पल
टकटकी लगाए चोखट तेरी थामता हूँ
न जाने तू कब गुज़रे इस गली से
नज़रों से अपनी रास्ता निहारता हूँ
फूलों की चादर तेरे कदमों तले बिछाए
दिल से हरदम तुझको पुकारता हूँ
कभी थम जाए टूटे जो सांस मेरी
गुज़ारिश रहेगी तुझसे ये मेरी
मेरी आँखे बंद होने से पहले
मेरी सांस टूटने से पहले
तुम अपनी झलक मुझको दिखला तो देना
पलभर चिलमन उठाके मुस्कुरा तो देना
मौत भी आये तो फिर गम नहीं है
ये ऐहसां तेरा मुझ पे कुछ कम नहीं है
@मीना गुलियानी  

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