शुक्रवार, 1 जुलाई 2016

अपनी राह चल दिया

कल एक फूल ने पूछा मुझसे 
तुम क्यों चुपचाप उदास रहते हो 
बोल तुम अपनी पीड़ा मुझसे कहो 
यूं न गुमसुम से बैठे रहो 
दिल क्यों है हैरान और परेशान 
किसने किया है तुम्हें पशेमान 
अपनी उलझनें बताओ तो ज़रा 
क्यों खामोश से हो बताओ ज़रा 
मै चुपचाप सा रहा सुनता ही रहा 
अब मुझे लगा यूं कोई मिल गया 
गम हल्का करलूँ यकीं मिल गया 
मै चुपके से चला पगडण्डी के पार 
धीरे धीरे से आई वो ठंडी बयार 
छूके मुझे होले से कानों में बोली 
कुछ बातें मुझसे करो मेरे हमजोली 
जाने क्या नशा सा छाने  लगा 
उसकी बातें सुन मै मुस्कुराने लगा 
उसने हल्की सी की सरगोशियाँ 
वादियों में गूँजी मेरी हिचकियाँ 
मेरा सार गम आंसुओं ने ढल गया 
मुस्कुरा के मै भी अपनी राह चल दिया 
@मीना गुलियानी 

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