गुरुवार, 4 अगस्त 2016

भजनमाला ------------116

अखियाँ प्यासी दर्शन की प्यास बुझा दो नैनन की

अब तो दरश दिखा जाना
प्यास को आके मिटा जाना
धार भ मेरे अँसुअन की

जोड़ा तुम्हरे संग नाता
भिक्षुक मैं हूँ तुम दाता
लाज रखो मुझ निर्बल की

सब कुछ है तुम्हरे अर्पण
आई बनके मैं जोगन
दासी बना लो चरणन की

बाबा जी अब तो मेहर करो
अर्ज सुनो मत देर करो
पत राखो निज शरणंन की
@मीना गुलियानी 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें