सोमवार, 8 अगस्त 2016

भजनमाला ------124

सिर को हमने आके झुकाया शरण तेरी पाने को 
छोड़ तेरा दर न जाएंगे ठोकरें खाने को 

याद में तेरी आंसू आये 
गीत विरह के हमने गाये 
अश्कों की माला है पिरोई 
तुमको पहनाने को 

दुनिया ने मुँह मोड़ा हमसे 
सबने नाता तोडा हमसे 
मायाजाल को तोड़के आये 
दर पे मिट जाने को 

भूलें हुई नादाँ हैं हम तो 
बच्चे तेरे अन्जान है हम तो 
भूलों को बिसरा के आओ 
हमको अपनाने को 
@मीना गुलियानी 

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