सोमवार, 10 अक्तूबर 2016

तुम जो फूल तो शूल हूँ

तुम हो प्रीतम प्राण हमारे
मैं चरण की धूल हूँ


तुम हो मेरी सृष्टि सारी
मैं हूँ तेरी कल्पना
तुम हो दीपक
मैं हूँ ज्योति
तेरी राहों की धूल हूँ

तेरी राहों में बिछी मैं
तेरी बगिया की कली
तेरी नज़रों से जो बिछुड़ी
धूल में फिर आ मिली
 तुम जो फूल तो शूल हूँ
@मीना गुलियानी

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