सोमवार, 28 नवंबर 2016

इक पल न बिसराना मुझे

इस बेताब दिल की तमन्ना कैसे बताएँ 
तुम खुद ही समझ लो हम कैसे समझाएँ 

सूना सूना दिल था मेरा जबसे तुम न आये थे 
हर पल भटकता फिरता था सपने हुए पराए थे 
खुशियाँ भी थीं गैरों की आँसू हरदम बहते थे 
कैसे तुमको बताएँ हम जिन्दा कैसे रहते थे 

लेकिन तुम मिले हो जबसे जीवन तुम्हीं से पाया है 
दिल में तुम्हीं समाये हो अपना हुआ पराया है 
भूले हैं हम बिसरे क्षण कल्पित हुए व्यथित मन 
मिला सहारा जब तेरा पुलकित हुआ है मेरा मन 

अब तू मुझको भुलाना न सीने में छुपालो मुझे 
धड़कन बनाके तुम अपनी बाहों में समालो मुझे  
दिल से दूर न करना कभी यादों में बसालो मुझे 
इतना प्यार मुझे करना इक पल न बिसराना मुझे 
@मीना गुलियानी 

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