मंगलवार, 13 दिसंबर 2016

मनवा है बेचैन

साजन तेरी याद में मनवा है बेचैन
कबसे पंथ निहारूँ मैं
दिन कटते नहीँ रैन

इक पल दर्श दिखाओ तुम
इतना न तरसाओ तुम
बादल बन आ जाओ तुम
बरसो सारी रैन

साजन तुम कब  आओगे
कितना  मुझे तड़पाओगे
जीते जी मर जाएंगे
मन को न आवे चैन

निरखत हर पल द्वार मैं
बैठी पंथ निहार मैं
आवोगे जिस राह तुम
पथ में बिछादूँ नैन
@ मीन गुलियानी 

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