सोमवार, 6 फ़रवरी 2017

मय्यसर नहीँ है अपने लिए

मैंने तो सोचा था चिरागाँ करेंगे हर दिल को
 इक चिराग भी मय्यसर नहीँ है अपने लिए

इस शहर में अब कोई भी हमदम न बचा
चलो कहीँ दूर चलें छोड़के ताउम्र के लिए

कहीँ भी देखो सब ख़ाक ही नज़र आये
कोई हँसी नज़ारा न बचा नज़र के लिए

सब संगदिल ही हैं जो यहॉ पे बसते हैं
कैसी आवाज़ लाऊँ यहॉ असर के लिए

मेरा गुलशन भी तूफां से इस कदर उजड़ा
सुकूँ  दिल का मिट गया उम्र भर के लिए
@मीना गुलियानी 

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