शुक्रवार, 24 मार्च 2017

भूला अफसाना याद आया

आज फिर कोई भूला अफसाना याद आया
मौसम जो गुज़रा दिन सुहाना याद आया

बीते सावन के दिन जब झूले पड़े थे बागों में
गीतों भर वो दिन तेरा मुस्कुराना याद आया

वो कलियों का खिलना वो हँसना वो मिलना
नज़रों का झुकाना बिजली गिराना याद आया

सुबकती सी आँखे महकती कम्पकंपाती साँसे
दबे पाँवों चलकर ज़मी को खुरचना याद आया
@मीना गुलियानी 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें