रविवार, 2 अप्रैल 2017

माता की भेंट --8

तर्ज़ --ऐ रात के मुसाफिर चन्दा ज़रा बता दे 

हे अम्बिके भवानी दर्शन मुझे दिखाओ 
अन्धकार ने है घेरा ज्योति मुझे दिखाओ 

मैया तेरे ही दर का मुझको तो इक सहारा 
नैया भँवर में डोले सूझे नहीँ किनारा 
मंझधार से निकालो नैया मेरी बचाओ 

लाखों को तूने तारा भव पार है उतारा 
 बतलाओ मेरी माता मुझको है क्यों बिसारा 
बच्चा तेरा हूँ माता मुझको गले लगाओ 

सूनी हैं मेरी राहें आँसू भरी निगाहें 
बोझिल हैं मेरी साँसे दुःख कैसे हम सुनाएं 
गम आज सारे  मेरे मैया तुम्हीं मिटाओ 

तेरा नाम सुनके आया जग का हूँ माँ सताया 
मुझको गले लगालो तेरी शरण हूँ आया 
रास्ते विकट हैं मैया अज्ञान को मिटाओ 
@मीना गुलियानी 

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