शनिवार, 8 अप्रैल 2017

विश्वास और प्रेम से रहना

मैंने सीखा है जीवन से हर पल ही हँसते रहना
चाहे कितने दुःख आएँ चुपचाप ही सहते रहना

न जान पायेगा कोई ,है कितनी मन में पीड़ा
हँसते हुए इस  जीवन में ,करती है चिंता क्रीड़ा

मेरी आँखों में तो हरदम, प्यासा सागर लहराए
जो भेद छुपे मेरे मन में, कैसे कोई बतलाये

मेरे जीवन में आशा आलोकित हर पल रहती
मेरे असफल होने पर भी कभी न तिरोहित होती

मेरे साथी से मुझको मिलता उल्लास का गहना
मैंने पीड़ा से सीखा विश्वास और प्रेम से रहना 
@मीना गुलियानी 

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