रविवार, 11 जून 2017

मेहमाँ तुम्हीं तो हो

पछताओगे इक दिन तुम दिल मेरा उजाड़कर
इस दिल में बसता कौन है मेहमाँ तुम्हीं तो हो

आता है तुमको रहम जुल्मों के बाद भी
अपने किए पे खुद पशेमां तुम्हीं तो हो

मेरी आँखों का नूर दिल का सुरूर हो तुम
 हम जानते थे जान के खैरखाह तुम्हीं हो

हम भूल न पायेंगे कभी तेरी कद्र्दानियाँ
हर किस्से में पुरज़ोर से शुमार तुम्हीं हो
@मीना गुलियानी 

1 टिप्पणी:

  1. बहुत गंभीर भावाभिव्यक्ति....टीस गहराइयों तक...बहुत सुन्दर. शायद कुछ संशोधन..:
    मेरी आँखों का नूर दिल का सुरूर हो तुम
    हम जानते थे जान के खैरख्वाह तुम्हीं हो

    हम भूल न पायेंगे कभी तेरी कद्र्दानियाँ
    हर किस्से में पुरज़ोर शुमार तुम्हीं हो

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