गुरुवार, 15 जून 2017

मोर भी नाचे डाली डाली

देखो कैसा फूल खिला है इस उपवन में
झूम उठा है जीवन हरियाली आँगन में

कण कण पर देखो प्रसून के आया पराग है
गा रही है गीत मधुमास के क्या अनुराग है

फूलों की रुत लाई  कैसी ये फुहार है
 मन में उमंग छाई मस्ती बेशुमार है

प्यार के गीत सुनाती है कोयल ये काली
झूम झूम के मोर भी नाचे  डाली डाली

कुहुक कुहुक कर  नाच रहा है मनवा उसका
देखो चित्त चुरा लिया गोरी ने जिसका
@मीना गुलियानी

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें