गुरुवार, 7 दिसंबर 2017

दीप जला जाना

इस दिल ने उठाये लाखों सितम
तुम और सितम अब मत ढाना

तड़पा है किसी की याद में ये
तुम इसको याद नहीं आना

चाहे सुबह ढले चाहे शाम ढले
नाम जुबां पे हमारा मत लाना

खुश रहना  हर हाल में तुम
अश्कों को न अपने ढलकाना

दिल तुमको दुआएँ देता है
ख़ुशी  के दीप जला जाना
@मीना गुलियानी


3 टिप्‍पणियां:

  1. 1. निमंत्रण
    १घनघोर अंधेरा जब छाए
    दुख का सागर जब चढ़ आये
    जीवन की बगिया मुरझाये
    तुम मेरे जीवन में आना
    मुरझाते फूल खिला जाना
    कुछ मुसकने बिखरा जाना
    २डगमग डोले जीवन नैया
    हारा थका निराश खिवेया
    हो मंजिल दूर बनी अपनी
    सूझे न राह बने धुंधली
    तुम मेरे जीवन में आनाo
    और सीधी राह दिखा जाना
    ३जब जीवन हो अनबूझ पहेली
    और भाग्य किया करे अठखेली
    हो राह कठिन न संगी साथी
    हो रात अंधेरी गहराती
    तुम मेरे जीवन में आनाo
    कर दूर अंधेरा उजियारा फेलाना
    ४ कडक कडक कर बिजली चमके
    नभ में मेघ गरजते
    तुम्ही सदा विजयी होते हो
    यही सभी हैं कहतेo
    हार न जाए सच अब
    तुम जग में जय करते आना
    निज विजय पताका फहराना
    ५कर बाण संधान अपना
    क्या कामदेव ही जीतेगा तब होगी जग में घोर प्रलय
    ऐसे जीवन बीतेगा
    तुम मेरे जीवन में आनाo
    आ कर यह सब झुठला जाना
    ६नाचे मन अब प्रसन्न हो कर
    बहे ज्ञान का सागर झर झर
    कर्म करें कुछ ऐसे जग में जिनसे
    सतत बहे जीवन का निर्झर
    तुम मेरे जीवन में आनाo
    यह सच करके दिखला जाना
    ७ देर हो चुकी बहुत अधिक
    अब आँखें खोलो
    मौन न रहो हे दुखहारी अब तो बोलो
    हो कर प्रकट झट अपना पावन रूप दिखाओ
    करो शक्ति का संचय
    और जागृत हो जाओo
    पड़े सुखों की शीतल छाया
    यह मन न अब घबराये
    तुम चाहो तो इस जीवन में
    फिर वसंत लौट आये
    8 युगल चरण सिर पर धरो
    मिटें दुख और क्लेश
    अंतरपट को खोल कर
    मन में करो प्रवेश
    ९ सब कुछ खोया बिन तेरे
    सूने हैं दिन रात
    अब तो बस आ कर मिलो
    पड़े हृदय को चैन
    अशोक कुमार

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