शनिवार, 6 जनवरी 2018

पुनर्जीवित करवा दो

निःशब्द  हो गई है वीणा
फिर से कोई तान सुना दो
तार पड़  गए ढीले ढाले
फिर से इनको कसवा दो

मन में कितनी ही आशाएँ
बलवती हो उठीं बेलों सी
अमरलता कोई बन जाए
ऐसी कोई सुधा पिला दो

सुधियों के वो सुर प्याले
पड़ गए रीते अनचीन्हे से
उन प्यालों को स्पर्श से
तुम पुनर्जीवित करवा दो
@मीना गुलियानी 

4 टिप्‍पणियां:

  1. हो जा तूं पीपल मै बनू अमर लता तेरी।

    वाह मीना सी सुंदर तम कोमल भावों वाली अप्रतिम रचना
    जल तरंग और पंछियों के चहक सी।

    जवाब देंहटाएं
  2. acchi kvita-ashok
    1 nhin gyan itna ki jivn sfl ho jaaye
    jivn mein mere prbhu tum hi tum ho smaaye
    tum ne mere jivn mein mein aa kr isko bdla
    nv muyon ko kiya prtishthit
    bina tere shaare ke main ek kdm bhi kaise chlta-ashok

    जवाब देंहटाएं