मंगलवार, 20 फ़रवरी 2018

अपने घर जा रही है

लगता है कोई आवाज़ आ रही है
कुछ इशारे से मुझे समझा रही है

दिन ढल गया रात आई सोना है
मगर तेरी तस्वीर क्यों गा रही है

मैंने जीने की नई राह चुनी थी
वो मेरे करीब क्यों आ रही है

रात के दामन पे लिखे थे ख़्वाब
तेरी याद आके क्यों तड़पा रही है

सितारे छिपने लगे सूरज उगने लगा
लगता है चाँदनी अपने घर जा रही है
@मीना गुलियानी 

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