गुरुवार, 29 मार्च 2018

दुनिया में सिमट जाओ

जब सुहानी भोर दस्तक देती है
तुम्हारी आँखे अधखुली होती हैं
 नर्म अंगुलियाँ मेरी हथेली को
छूकर मेरी  धड़कनें बढ़ा देती हैं

तमाम यादें फिर से उभर आती हैं
बीते पलों की याद दिलाती हैं
दुनिया का वजूद  हम भूल जाते हैं
अपनी यादों का मेला सजाते हैं

जी चाहता है तुम मेरे पास बैठो
चुपचाप मुस्कुराते हुए मुझे निहारो
दिल की संवेदना मुझ पर उढ़ेलो
 ख्यालों की दुनिया में सिमट जाओ
@मीना गुलियानी 

1 टिप्पणी:

  1. शानदार मीना जी!
    एहसास जगाती हसरतों का तरन्नुम है आपकी गजल।
    बहुत प्यारी।

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