रविवार, 1 अप्रैल 2018

मुझको निशानी दे गया

कोई ऐसे गया तन्हा मुझे छोड़कर
कुछ यादें सुहानी मुझे वो दे गया

पीछे छोड़े हैं उसने अधूरे से ग़म
साथ यादें न होतीं तो मर जाते हम
चन्द साँसें वो साथ हमारी ले गया

बीते लम्हों में दिखती कहानी उसकी
गुज़रे पलों में बिखरी हैं यादें उसकी
जाते जाते वो आँखों में पानी दे गया

फिर वो आया तो जाने न देंगे उसे
इन पलकों में बंद कर लेंगे उसे
प्रीत अपनी मुझको निशानी दे गया
@मीना गुलियानी 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें