रविवार, 22 अप्रैल 2018

वादा कौन करेगा

दुःख में पीड़ा कौन हरेगा
मन के सूने पनघट पर
नीर बताओ कौन भरेगा

हम सब दिल के हाथों बंदी
कोई न साथी न कोई संगी
अरमानों में रुदन छिपाए
ऐसी है ये दुनिया दोरंगी
सुख पर है पीड़ा का पहरा
मुक्त दुःखों से कौन करेगा

पल दो  पल के हैं सब नाते
मतलब के सब झूठे वादे
सबको केवल खुद की चिंता
कौन किसी के दुखड़े बाँटे
सदा किसी का साथ निभाए
ऐसा वादा कौन करेगा
@मीना गुलियानी

1 टिप्पणी:

  1. एकांत में मन अकसर ऐसे ही प्रश्नों से दो -चार हुआ करता है | मन के शाश्वत प्रश्न !!!!!!!!!सस्नेह --

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