गुरुवार, 31 मई 2018

साहिल तक जाना मुश्किल है

जीने को जिए जाते हैं मगर
हर सांस का आना मुश्किल है
इक बोझ है सीने पर ऐसा
जिसको उठाना मुश्किल है

इक याद हे दिल में ऐसी कुछ
जिसको कि भुलाना मुश्किल है
इक चाह है ऐसी कुछ दिल में
जिसको कि गंवाना मुश्किल है

तूफ़ां के थपेड़ों में पड़कर अब
किश्ती का बचाना मुश्किल है
मौजों की रवानी में बहकर
साहिल तक जाना मुश्किल है
@मीना गुलियानी

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