मंगलवार, 29 मई 2018

हर ग़म गले लगाते हैं

बुझते चिराग़ों को फिर जलाते हैं
उजड़े हुए ख़्वाबों को सजाते हैं

लम्हे जिंदगी के जो गुज़र भी गए
उनकी यादों में हम डूब जाते हैं

दर्दे दिल हमसे सहा नहीं जाता
दरिया अश्कों के हम बहाते हैं

खोए रहते हैं हम ख्यालों में
हम तो हर ग़म गले लगाते हैं
@मीना गुलियानी 

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