शुक्रवार, 15 जून 2018

छनकने लगी है

आने से तेरे जैसे बहार आ गई है
ख़्वाबों की दुनिया सजने लगी है

सवरने लगे फूलों के गुंचे भी अब 
हवा भी रुख अपना बदलने लगी है
खिली देखो सरसों जूही ,चमेली
 दिल की बगिया महकने लगी है

फूलों ने देखो बिछाई है चादर
उषा भी अपनी लाई है गागर
सूरज की लाली लगी है चमकने
गागर भी अब छलकने लगी है

हँसी शाम अब तो होने को आई
सितारों ने अपनी महफ़िल जमाई
चंदा गगन में लगा मुस्कुराने
शबनम भी देखो बहकने लगी है

रंगीन मौसम रुत भी जवां है
फूलों से महका ये गुलिस्तां है
मिले आज तुम हर अरमां जवां है
 पायल ख़ुशी से छनकने लगी है
@मीना गुलियानी




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